धर्म

सबसे पहले किसने की थी परिक्रमा, जानें मंदिरों में चक्कर लगाने का महत्व

मंदिर में दर्शन करने और पूजा के बाद परिक्रमा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है

Jan 21, 2020 / 03:57 pm

Devendra Kashyap

मंदिर में पूजा करने के बाद लोग भगवान की मूर्ति के पास चक्कर लगाते हैं। यही नहीं, सूर्य को अर्घ्य देने के बाद भी लोग अपने स्थान पर गोल-गोल घूमते हैं। ऐसे में अब सवाल उठता है कि लोग किसी भी पवित्र स्थान पर परिक्रमा क्यों करते हैं और इसके पीछे का मान्यता क्या है?

माना जाता है कि मंदिर में दर्शन करने और पूजा के बाद परिक्रमा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है और वो मन तन-मन में शांति प्रदान करती है। इसके अलावा किसी पवित्र स्थान पर नंगे पैर चलने से या परिक्रमा करने से उस स्थान में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा हमारे शरीर में प्रवेश करती है, जो शरीर के लिए लाभदायक होती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान गणेश और कार्तिकेय के बीच संसार का चक्कर लगाकर आने की प्रतिस्पर्धा रखी गई थी और कहा गया था जो सबसे पहले चक्कर लगाकर आयेगा वो प्रथम पूज्य होगा। तब भगवान गणेश ने नरद मुनि के कहने पर अपने पिता शिवजी और माता पार्वती के तीन चक्कर लगाए थे और कहा था कि मेरा संसार मेरे माता-पिता हैं और इस तरह उनका संसार का परिक्रमा पूर्ण हो गया था।

मान्यता के अनुसार, संसार के निर्माता के चक्कर लगाने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। माना जाता है कि किसी भी पवित्र स्थान पर 8 से 9 बार परिक्रमा करने से संसार का परिक्रमा हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी पवित्र स्थान का परिक्रमा दाएं हाथ से ही शुरू करनी चाहिए, ये बहुत ही लाभदायक होता है।

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