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Vishwakarma Puja 2022: विश्वकर्मा जयंती आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और आरती

पंचांग के अनुसार आज 17 सितंबर 2022 को विश्वकर्मा जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला शिल्पकार माना गया है। तो पढ़िए विश्वकर्मा जयंती पर श्री विश्वकर्मा जी की आरती…

Sep 17, 2022 / 11:20 am

Tanya Paliwal

Vishwakarma Puja 2022: विश्वकर्मा जयंती आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और आरती

Shri Vishwakarma Puja 2022 Shubh Muhurat and Aarti: हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के सृजनकर्ता और प्रथम शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि प्राचीन काल में देवी-देवताओं के औजार, अस्त्र-शस्त्रों और भवनों का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा द्वारा किया गया था। आज 17 सितंबर 2022 को भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव यानी विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा और अपने काम के औजारों, मशीनों, उपकरणों आदि की पूजा का विधान होता है। मान्यता है कि इससे भगवान विश्वकर्मा प्रसन्न होकर आपके कारोबार में वृद्धि और तरक्की का आशीर्वाद देते हैं। तो आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त और श्री विश्वकर्मा आरती…

विश्वकर्मा पूजा 2022 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार हर साल कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस साल आज शनिवार, 17 सितंबर 2022 को विश्वकर्मा पूजा है। ज्योतिष अनुसार इस दिन पूजा के तीन शुभ मुहूर्त हैं।

विश्वकर्मा पूजा 2022 सुबह का मुहूर्त- 07:39 बजे से 09:11 बजे तक
विश्वकर्मा पूजा 2022 दोपहर का मुहूर्त- 01:48 बजे से 03:20 बजे तक
विश्वकर्मा पूजा 2022 तीसरा मुहूर्त- 03:20 बजे से 04:52 बजे तक

श्री विश्वकर्मा भगवान की आरती

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥

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