विकट संकष्टी चतुर्थी पर गणेशजी की पूजा का समयः सुबह 9.13 से 10.48 तक
विकट संकष्टी चतुर्थी पर शाम को गणेशजी की पूजा का समयः शाम 6.43 से 9.33 के बीच विकट संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा का साया
इस साल विकट संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा काल का साया है। मान्यता है कि भद्रा के समय शुभ कार्य करने से काम पूरा नहीं होता है। भले ही भद्राकाल में मांगलिक कार्य करने पर रोक रहती है, लेकिन पूजा पाठ में कोई अवरोध नहीं होता। भद्रा काल की शुरुआत 8 अप्रैल रात 9. 56 से हो रही है और भद्रा काल का समापन 9 अप्रैल को सुबह 9.35 बजे हो रहा है।
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विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा का महत्व धार्मिक ग्रंथों के अनुसार विकट संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखकर भगवान गणेश और चौथ माता की पूजा से संतान का सारा संकट दूर हो जाता है। वैवाहिक जीवन की उथल पुथल खत्म हो जाती है, बुध ग्रह अनुकूल होता है। कमजोर बुद्धि वालों को लाभ मिलता है, कारोबार की समस्या दूर होती है। घर के मांगलिक कार्यों की अड़चन दूर होती है। इसके अलावा चंद्रमा को अर्घ्य देने के प्रभाव से मानसिक समस्याएं खत्म होती है और घर में खुशहाली आती है।
विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा का महत्व धार्मिक ग्रंथों के अनुसार विकट संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखकर भगवान गणेश और चौथ माता की पूजा से संतान का सारा संकट दूर हो जाता है। वैवाहिक जीवन की उथल पुथल खत्म हो जाती है, बुध ग्रह अनुकूल होता है। कमजोर बुद्धि वालों को लाभ मिलता है, कारोबार की समस्या दूर होती है। घर के मांगलिक कार्यों की अड़चन दूर होती है। इसके अलावा चंद्रमा को अर्घ्य देने के प्रभाव से मानसिक समस्याएं खत्म होती है और घर में खुशहाली आती है।
संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी में अंतर धार्मिक ग्रंथों के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जानते हैं। दोनों ही दिन गणों के स्वामी गणेश जी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।