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Uttarayana 2023: उत्तरायण का अर्थ क्या है, जानें महत्व

मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होंगे यह आपने कई बार सुना होगा। उत्तराखंड का उत्तरायणी मेला और उत्तरायण उत्सव तो देश भर में प्रसिद्ध है, ऐसे में आपके मन में खयाल आता होगा कि उत्तरायण (Uttarayana 2023) का अर्थ क्या है और उत्तरायण कब है तो आइये हम बताते हैं।

Jan 15, 2023 / 11:29 am

Pravin Pandey

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उत्तरायण पर्व 2023

Uttarayan 2023: मकर संक्रांति को उत्तरायण पर्व (Uttarayana Festival 2023) भी कहते हैं, क्योंकि मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण होने लगते हैं। इसीलिए मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) के दिन उत्तरायण पर्व भी मनाया जाता है, यानी 15 जनवरी 2023 को ही उत्तरायण पर्व भी है। सूर्य अब 14 जुलाई को दक्षिणायन होगा।

उत्तरायण का अर्थः जानकारों के अनुसार सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तब इसके गति और झुकाव की दिशा उत्तर होती है और जब कर्क राशि में प्रवेश करता है तो इसके गति और झुकाव की दिशा दक्षिण होती है। इसीलिए इसे उत्तरायण और दक्षिणायन कहते हैं। सूर्य की यह स्थिति छह-छह महीने के होती है।
सूर्य के उत्तरायण (Uttarayana) के समय दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं जबकि दक्षिणायन के समय रातें लबें और दिन छोटे होते हैं। उत्तरायण के समय सूर्य की किरणें सेहत अच्छी करने वाली और शांति को बढ़ाने वाली होती हैं।
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उत्तरायण का महत्व (Uttarayana Festival Importantance)

मान्यता है कि मकर संक्रांति (उत्तरायण में) से देवताओं का दिन शुरू होता है जो आषाढ़ महीने तक रहता है और दक्षिणायन का समय देवताओं की रात मानी जाती है। इसका अर्थ है देवताओं का एक दिन (दिन-रात मिलाकर) में मनुष्य का एक वर्ष संपन्न हो जाता है। वहीं मनुष्यों का एक माह पितरों के एक दिन के बराबर होता है। साथ ही दक्षिणायन को नकारात्मकता और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है(Uttarayana Festival Importantance)।
हमारे समाज में महाभारत की एक कथा प्रचलित है, जिसमें कहा गया है कि इच्छा मृत्यु का वरदान रखने वाले भीष्म ने मृत्यु के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था। इसके पीछे का रहस्य भगवान कृष्ण ने समझाया था। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि छह माह के शुभकाल में जब सूर्य उत्तरायण होते हैं तब पृथ्वी प्रकाशमय रहती है। इस काल में प्राण त्याग से पुनर्जन्म नहीं होता।
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उत्तरायण उत्सव और त्योहार मनाने का समय है, जबकि दक्षिणायन व्रत साधना और ध्यान का समय है। उत्तरायण के छह माह में (शिशिर, बसंत और ग्रीष्म ऋतु) गृह प्रवेश, यज्ञ, व्रत, अनुष्ठान विवाह आदि किए जाते हैं, जबकि दक्षिणायन के दौरान विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्यों के लिए निषेध है। बल्कि इस दौरान व्रत और सात्विक-तांत्रिक साधना करना ठीक होता है।

नई दिल्ली के लिए संक्रांति का समयः नई दिल्ली के लिए संक्रांति का समय 14 जनवरी 2023 को रात 8.21 बजे होगा, हालांकि उदयातिथि में उत्तरायण और मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।
https://youtu.be/LSsOklUrbt4

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