शुभ मुहूर्त: ज्योतिष अनुसार स्कंद षष्ठी की पूजा प्रातः 05:23 बजे से रात्रि 12:25 बजे ले बीच में कर सकते हैं। वहीं पंचांग के अनुसार, 5 जून को राहुकाल का समय 05:32 बजे से शाम 07:16 बजे तक है।
पूजा विधि: स्कंद षष्ठी की पूजा में सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर पर लाल चंदन, अक्षत, फूल, फल और मोर पंख आदि अर्पित करें। इसके बाद धूप-दीप से आरती करें। इसके बाद भगवान के समक्ष बैठकर षष्ठी स्रोत का पाठ करें। मान्यता है कि इस स्त्रोत के पाठ से संतान संकट से मुक्ति मिलने के साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कार्तिकेय के प्रिय वाहन मोर की पूजा करने से संतान पर आई विपत्तियों का नाश होता है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)