1. चंद्रमा उच्च राशि का होः शनि की साढ़े साती के समय यदि चंद्रमा उच्च राशि का हो तो उस समय जातक की सहन शक्ति बढ़ जाती है। इसके प्रभाव से कार्य क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है। इसका परिणाम भी शुभ होता है, जबकि चंद्रमा के कमजोर या नीच का रहने से व्यक्ति की सहनशीलता कम हो जाती है और उसका काम में मन नहीं लगता, इसके परिणामस्वरूप उसकी समस्या बढ़ जाती है।
2. ये लग्न रहेः ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार लग्न वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ रहने पर शनि जातक को कष्ट नहीं देते बल्कि उनको सहयोग ही देते हैं। इससे इन लग्न वालों को लाभ होता है।
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4. ऐसे होता है मिलाजुला प्रभावः चंद्र कुंडली और लग्न कुंडली में एक में शनि शुभ और दूसरे में अशुभ रहे तो शनि की साढ़े साती के समय जातक को मिलाजुला प्रभाव देखने को मिलता है।
साढ़े सात साल की होती है शनि की साढ़े सातीः ज्योतिष के अनुसार शनि की साढ़े साती की अवधि साढ़े सात साल की होती है। इसके बाद फिर स्थितियों में बदलाव हो जाता है।