दरअसल शास्त्रों के अनुसार दूध को सात्विक माना गया है। जानकारों के अनुसार माना जाता है कि शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही माना जाता है कि भगवान शिव के साप्ताहिक दिन सोमवार को दूध दान से चंद्र मजबूत होता है। इसके अलावा दूध का विशेष प्रयोग शिवजी के रुद्राभिषेक में भी होता है।
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क्या आपको पता है कि भगवान शिव के प्रतिकात्मक रूप शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है, यदि नहीं तो ऐसे समझें इसके पौराणिक व वैज्ञानिक कारण
ये हैं वैज्ञानिक कारण :
: विज्ञान के अनुसार शिवलिंग का पत्थर एक विशेष प्रकार का होता है। ऐसे में इसका क्षरण रोकने के लिए ही इस पर दूध, घी, शहद जैसे चिकने और ठंडे पदार्थ अर्पित किए जाते हैं।
विज्ञान के अनुसार यदि शिवलिंग पर ऐसी चीजों को नहीं चढ़ाया जाए तो समय के साथ क्षरण के चलते वे टूट सकते हैं, इसी क्षरण से बचाने के लिए इसे हमेशा गीला रखा जाता है। जिसकी मदद से यह हजारों वर्षों बने रहते हैं। दरअसल शिवलिंग का पत्थर इन पदार्थों को सोखकर अपने आकार में बना रहता है।
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ये हैं पौराणिक कारण :
पौराणिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन से विष निकला था। जिस कारण पूरे विश्व में खतरा मंडराने लगा। विष के इस भयानक रूप को देखते हुए इससे बचने के लिएसभी देवता और दैत्यों ने भगवान शिव से प्रार्थना की। तब संसार के कल्याण को देखते हुए भगवान शंकर ने इस संपूर्ण विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। इस विष के असर से भगवान शिव का कंठ नीला हो गया और उनका शरीर का ताप बढ़ने लगा।
जब विष का घातक प्रभाव शिव के साथ ही देवी गंगा (भगवान शिव की जटा में विराजमान) तक भी पहुंचने लगा तो देवताओं ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के साथ ही भगवान शिव को दूध ग्रहण करने का आग्रह किया जिससे विष का असर कम हो सके। सभी के कहने पर महादेव ने दूध ग्रहण किया और फिर उनका दूध से अभिषेक भी किया गया।
माना जाता है कि इसी दिन से ही शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की परंपरा शुरु हुई। मान्यता के अनुसार भगवान शिव को सावन में दूध का स्नान कराने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।