Shattila Ekadashi 2023 Paran: पुरोहितों के अनुसार एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। व्रत का पारण द्वादशी तिथि संपन्न होने से पहले किया जाना जरूरी होता है। पंचांग के अनुसार षटतिला एकादशी व्रत 2023 का पारण 19 जनवरी को करना चाहिए। षटतिला एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 19 जनवरी सुबह 7.04 बजे से 9.15 बजे तक है। हालांकि द्वादशी तिथि दोपहर 1.18 बजे संपन्न होगी।
षटतिला एकादशी महात्म्यः षटतिला एकादशी व्रत की महिमा निराली है। इस व्रत को रखने से जन्म-जन्म व्यक्ति निरोगी रहता है और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मनुष्य जो जो और जैसा दान करता है, उसे बाद में उसी तरह का फल मिलता है। धार्मिक कार्यों के बाद दान पुण्य जरूर करना चाहिए।
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वो काम जो षटतिला एकादशी पर जरूर करने चाहिए
1. माघ महीने में मनुष्य को स्नान आदि से शुद्ध रहना चाहिए
2. इंद्रियों को वश में करके काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, अहंकार से दूर रहना चाहिए।
3. पुष्य नक्षत्र में गोबर,कपास, तिल मिलाकर उपले बनाएं और इससे 108 बार हवन करें
4. मूल नक्षत्र में एकादशी पड़ रही है तो सदकर्मों का आचरण करना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
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5. एकादशी के दिन उपवास और हवन करें, रात्रि जागरण कर भगवान का ध्यान करें।
6. अगले दिन धूप, दीप नैवेद्य से भगवान विष्णु की पूजा कर खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए।
7. एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पेठा, नारियल, सीताफल या सुपारी सहित अर्घ्य देकर स्तुति करनी चाहिए।
8. यह प्रार्थना करनी चाहिए- हे जगदीश्वर! हे निराश्रितों को शरण देने वाले और जिनका सब कुछ बिगड़ गया है उनका उद्धार करने वाले, हे पुण्डरीकाक्ष! आप लक्ष्मीजी समेत मेरे तुच्छ अर्घ्य को स्वीकार कीजिए।
5. एकादशी के दिन उपवास और हवन करें, रात्रि जागरण कर भगवान का ध्यान करें।
6. अगले दिन धूप, दीप नैवेद्य से भगवान विष्णु की पूजा कर खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए।
7. एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पेठा, नारियल, सीताफल या सुपारी सहित अर्घ्य देकर स्तुति करनी चाहिए।
8. यह प्रार्थना करनी चाहिए- हे जगदीश्वर! हे निराश्रितों को शरण देने वाले और जिनका सब कुछ बिगड़ गया है उनका उद्धार करने वाले, हे पुण्डरीकाक्ष! आप लक्ष्मीजी समेत मेरे तुच्छ अर्घ्य को स्वीकार कीजिए।
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9. इसके बाद ब्राह्मण को जल से भरा घड़ा और तिल दान करना चाहिए। संभव हो तो ब्राह्मण को गाय और तिल का दान करना चाहिए।
10. इस प्रकार मनुष्य जितने तिलों का दान करता है, उतने हजार वर्ष स्वर्ग में वास करता है।
11. माघ कृष्ण एकादशी यानी षटतिला एकादशी के दिन तिल स्नान, तिल का उबटन, तिलोदक, तिल का हवन, तिल का भोजन और तिल का दान इस तरह छह रूपों में तिल का प्रयोग करना चाहिए।
9. इसके बाद ब्राह्मण को जल से भरा घड़ा और तिल दान करना चाहिए। संभव हो तो ब्राह्मण को गाय और तिल का दान करना चाहिए।
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11. माघ कृष्ण एकादशी यानी षटतिला एकादशी के दिन तिल स्नान, तिल का उबटन, तिलोदक, तिल का हवन, तिल का भोजन और तिल का दान इस तरह छह रूपों में तिल का प्रयोग करना चाहिए।