अखंड ज्योति जलाने के नियम
शास्त्रों के मुताबिक अखंड ज्योति जलाने से पहले भगवान गणेश, शिवजी और मां दुर्गा का स्मरण करते हुए ‘ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुतेष्’ मंत्र का जाप करें और फिर दुर्गा मां के समक्ष अखंड ज्योति जलाएं।
आस्था का प्रतीक मणिजाने वाली अखंड ज्योति के लिए शुद्ध घी का प्रयोग करना शुभ माना गया है। लेकिन अगर संभव न हो तो आप सरसों के तेल से भी अखंड ज्योति जला सकते हैं। वहीं इस बात का विशेष ध्यान रखें कि नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद भी अखंड ज्योति को स्वयं न बुझाएं। इस अखंड दीपक को मंदिर में रखा रहने दें और जब इसका घी खत्म हो जाए तो यह स्वतः बुझ जाएगा।
माना जाता है कि जिस घर में अखंड ज्योति जली हो वहां किसी न किसी सदस्य को घर में मौजूद रहना चाहिए। कभी भी घर को पूरा खाली न छोड़ें। वहीं अगर अखंड दीपक जला रहे हैं तो घी का दीपक मां दुर्गा के दाएं तरफ रखें और यदि दीपक में सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं तो इसे देवी के बाएं तरफ रखना चाहिए।
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