3. चन्द्रघंटा (देवी मां का तृतीय स्वरूप) : देवी मां के इस स्वरूप में मां शीश पर घंटेनुमा अर्धचन्द्र धारण किए हैं। दस भुजाएं त्रिशूल, खड्ग, गदा, धनुष जैसे विविध अस्त्र लिए हैं।
पूजा की विधि: मां को वाहन सिंह व सुनहरा रंग पसंद है। अत: इस दिन ऐसे ही वस्त्र पहनें। खीर, सफेद बर्फी या शहद का देवी मां को भोग लगाएं।
स्तवन मंत्र: पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्र-कैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
4. कूष्मांडा (देवी मां का चतुर्थ स्वरूप) : धार्मिक मान्यता के अनुसार सृष्टि से पहले जब अंधकार व्याप्त था तो मां दुर्गा ने ब्रह्मांड (अंड) की रचना की थी और इसलिए उनका नाम कूष्मांडा पड़ा।
पूजा की विधि: इस दिन हाथों में पुष्प लेकर देवी मां को प्रणाम करें, कथा सुनें व षोड़षोपचार पूजन व आरती करें। मालपुए या कद्दू के पेठे चढ़ाएं।
स्तवन मंत्र: सुरासंपूर्ण·लशं, रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।
5. स्कंदमाता (देवी मां का पांचवां स्वरूप) : देवी मां अपने स्कंदमाता (कार्तिकेय) स्वरूप में सिंहारूढ़ हैं। इनकी भुजाएं स्कंद, कमल, श्वेतकमल व वर मुद्रा में हैं।
पूजा की विधि: इस दिन देवी मां की पूजा के तहत जलयुक्त कलश में मुद्रा डालकर चौकी पर रखें। रोली-कुमकुम व नैवेद्य चढ़ाएं। श्वेत वस्त्र धारण क·र देवी मां को केले का भोग लगाएं।
स्तवन मंत्र: सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रित·र-द्वया। शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।।
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6. कात्यायनी (देवी मां का छठा स्वरूप) : अपने इस रूप में सिंहारूढ़ देवी स्वर्ण कांतियुक्त हैं। इनके दाएं हाथ अभय व वर मुद्रा में हैं और बाएं हाथों में खड़्ग और कमल सुशोभित हैं।
पूजा की विधि: देवी मां के इस रूप की पूजा के दौरान लाल या पीले वस्त्र पहननें चाहिए। इस दौरान गंगाजल छिड़के। पीले पुष्प, कच्ची हल्दी की गांठ व शहद चढ़ाएं। धूप-दीप से आरती करें।
स्तवन मंत्र: चंद्रहासोज्ज्वल·रा, शार्दूलवर-वाहना। कात्यायनी शुभं दद्यात, देवी दानवघातनी।।
7. कालरात्रि (देवी मां का सातवां स्वरूप) : देवी मां इस रूप में अंधकार समान कांतियुक्त, त्रिनेत्रधारी, गर्दभारूढ़ देवी के हाथ खड़्ग व लौहास्त्र, अभय व वर मुद्रा में हैं।
पूजा की विधि: देवी मां के इस रूप की पूजा के दौरान सिर ढंककर अक्षत्, धूप, गंध, रातरानी पुष्प व गुड़ का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।
स्तवन मंत्र: एकवेणी जपाक·र्ण, पूरा नग्ना खरा-स्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरू-रणी।। वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।
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8. महागौरी (देवी मां का आंठवां स्वरूप) : देवी मां इस रूप में माता गौरवर्ण-युक्त श्वेत वस्त्राभूषणधारी हैं। मां के इस रूप को श्वेत वस्त्र पसंद हैं, अत: इस दिन सफेद कपड़े पहनें।
पूजा की विधि: पूजा के दौरान देवी मां को गंगाजल से स्नान कराएं। सफेद वस्त्र व पुष्प अर्पित करें। फिर कुमकुम रोली लगाएं। साथ ही भोग में मिष्ठान व पंचमेवा लगाएं। काले चने भी चढ़ाएं।
स्तवन मंत्र: श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।
9. सिद्धिदात्री (देवी मां का नवां स्वरूप) : देवी मां इस रूप में कमल विराजित, सिंहारूढ़, हाथों में शंख, चक्र, गदा व कमलधारी सिद्धिदात्री देवी हैं। मां सिद्धिदात्री आठों सिद्धियों को देने वाली हैं।
पूजा की विधि: इस दिन पूजा के दौरान देवी सिद्धिदात्री का पूजन व हवन किया जाता है जिसमें दुर्गा सप्तशती की आहूतियां भी दी जाती हैं।
स्तवन मंत्र: सिद्धगंदर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।