दरअसल, सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष कहते हैं। इस बार सावन का प्रदोष व्रत, सावन के दूसरे सोमवार यानी 29 जुलाई को है। प्रदोष व्रत का महत्व प्रदोष व्रत वैसे तो सभी लोगों के लिए फलदायी होता है लेकिन जिन लोगों का मन हमेशा बेचैन और चंचल होता है, उनके लिए विशोष फलदायी होता है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने वाले लोगों को जीवन में कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ता है।
प्रदोष व्रत विधि प्रदोष काल, उस समय को कहते हैं जब सूर्यास्त हो गया हो लेकिन अभी रात नहीं आई हो। इसका अर्थ ये हुआ है कि सूर्यास्त और रात होने से पहले के बीच जो अवधि होती है, उसे प्रदोष काल कहा जाता है। इस अवधि के दौरान भगवान शिव की विधिवत पूजा की जाती है।
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