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Sawan Somvar Vrat 2022: सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को, जानिए इस दिन का महत्व और शिवपूजन से जुड़ी खास बातें

हिंदू कैलेंडर का पांचवा महीना और भगवान शिव के प्रिय मास सावन की शुरुआत 14 जुलाई से हो चुकी है। वहीं सावन के सोमवार का पहला व्रत 18 जुलाई 2022 को पड़ रहा है। तो आइए जानते हैं सावन में सोमवार का व्रत का महत्व और संपूर्ण पूजा विधि…

Jul 17, 2022 / 12:45 pm

Tanya Paliwal

Sawan Somvar Vrat 2022: सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को, जानिए इस दिन का महत्व और शिवपूजन से जुड़ी खास बातें

Sawan Somvar Vrat Significance And Puja Vidhi: सावन महीने की शुरूआत 14 जुलाई 2022 से हो चुकी है। भगवान शिव की पूजाआराधना को समर्पित यह मास धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि जो भक्ति सावन के महीने में पूरे विधि-विधान से और रुद्राभिषेक करके भोलेनाथ की भक्ति करता है उसके जीवन की सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है। वहीं सोमवार का दिन भी भोलेनाथ की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसे में सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस साल सावन का पहला सोमवार व्रत 18 जुलाई 2022 को है। वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सावन के पहले सोमवार पर शोभन योग बन रहा है। तो आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत का महत्व और शिव पूजन की विधि…

सावन सोमवार व्रत 2022 महत्व
इस साल सावन के सोमवार में चार व्रत पड़ेंगे। सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को, दूसरा 25 जुलाई को, तीसरा 1 अगस्त को और चौथा यानी अंतिम सोमवार व्रत 8 अगस्त को पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मान्यता है कि सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखने और भोलेनाथ की पूजा से मनुष्य की कुंडली में ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

सावन सोमवार पर इस तरह करें शिव पूजा
सावन सोमवार के दिन सबसे पहले स्नानादि से निवृत्त होकर घर के पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। इसके बाद घर में ही या किसी मंदिर में शिवलिंग के अभिषेक से पूजा की शुरुआत करनी चाहिए। इसके लिए एक लोटे जल में दूध तथा काले तेल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें।

शिवलिंग के अभिषेक के बाद बेलपत्र, कुशा, धतूरा, नीलकमल, कनेर, चमेली या आक का फूल आदि भगवान शिव को अर्पित करें। वहीं मान्यता है कि भोलेनाथ को मीठे पकवान जैसे हलवा या मालपुए का भोग लगाने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसके बाद भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करें।

साथ ही ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए माता पार्वती की पूजा करें। पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ें या सुनें। पूजा के अंत में धूप, दीप से आरती उतारें। भोग को सभी में प्रसाद रूप में बांट दें।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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