scriptSakat Chauth Ki Katha: व्रत के दिन पढ़ना जरूरी है सकट चौथ की कथा, जानें कुम्हार और बुढ़िया की कहानी | Sakat Chauth Ki Katha Sakat Chauth 2023 Vrat | Patrika News
धर्म

Sakat Chauth Ki Katha: व्रत के दिन पढ़ना जरूरी है सकट चौथ की कथा, जानें कुम्हार और बुढ़िया की कहानी

संतान के कल्याण के लिए माताएं सकट चौथ या संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं। सुबह सूर्योदय के साथ शुरू होने वाला व्रत रात चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूरा होता है। लेकिन इस व्रत में सकट चौथ की कथा पढ़नी जरूरी (Sakat Chauth Ki Katha) है तो आइये आज दस जनवरी को सकट चौथ व्रत 2023 (Sakat Chauth 2023 Vrat ) के दिन बताते हैं क्या है वह कथा।

Jan 10, 2023 / 01:56 pm

Pravin Pandey

sakat_chauth_ki_katha_2.jpg

sakat chauth vrat katha

धार्मिक ग्रंथों में बताई गई सकट चौथ व्रत कथा (Sakat Chauth Vrat Katha) के अनुसार एक नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार उसने मिट्टी के बर्तन बनाए और आवा में डाला, लेकिन वह पके नहीं। यह देखकर कुम्हार परेशान होकर राजा के पास पहुंचा और अपनी समस्या बताई।
इसके निदान के लिए राजा ने राज्य के पुरोहित को बुलाया और पुरोहित से ऐसा होने के पीछे की वजह जाननी चाही। इस पर पुरोहित ने कहा कि यदि रोजाना आवां लगाने से पहले गांव के एक घर से एक बच्चे की बलि दी जाए तब ये आवा रोज पकने लगेगा। राजा ने इस सलाह पर मुहर लगा दी और ऐसा करने का आदेश दे दिया।

अब रोज प्रत्येक परिवार से एक बच्चे की बलि दी जाने लगी। कुछ दिनों बाद एक बुढ़िया के लड़के की बारी आई, वो अपने लड़के को बलि के लिए नहीं भेजना चाहती थी। क्योंकि वह लड़का ही बुढ़िया के बुढ़ापे का सहारा था। बलि के दिन सकट चौथ भी थी।
ये भी पढ़ेंः Tilkut Chauth Katha: गणेशजी की पूजा से दूर होते हैं तीनों ताप, कथा में जानिए शिवजी का आशीर्वाद

बुढ़िया ने की पूजा


इस पर बुढ़िया ने बेटे को बलि पर भेजने से पहले एक सकट की सुपारी और दूब देकर कहा, तुम भगवान गणेश का नाम लेकर आवां में बैठ जाना। सकट माता तुम्हारी रक्षा करेंगी। इसके बाद जब बुढ़िया के बेटे को आवां में बिठाया गया तो बुढ़िया अपने बेटे की रक्षा के लिए पूजा-पाठ करने लगी।
ये भी पढ़ेंः Sankashti Chaturthi 2023: संकष्टी चतुर्थी उपाय दिलाते हैं गणेशजी की कृपा, जानिए सात उपाय

बुढ़िया के पूजा पाठ के प्रभाव से जिस आवां को पकने में पहले कई दिन लग जाते थे, इस बार वह एक ही रात में पक गया और सुबह जब कुम्हार ने आवा देखा तो आवां पक चुका था और बुढ़िया का बेटा भी सही सलामत था। यही नहीं सकट माता की कृपा से जिन बच्चों की पहले बलि दी गई थी वो भी जीवित हो उठे। तभी से नगर वासियों ने मां सकट की पूजा और व्रत रखना शुरू कर दिया।
https://www.dailymotion.com/embed/video/x8h1hx1
https://www.dailymotion.com/embed/video/https://www.dailymotion.com/video/x8h1hx1
https://youtu.be/LSsOklUrbt4

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion News / Sakat Chauth Ki Katha: व्रत के दिन पढ़ना जरूरी है सकट चौथ की कथा, जानें कुम्हार और बुढ़िया की कहानी

ट्रेंडिंग वीडियो