पंडित सुनील शर्मा के अनुसार मान्यता है कि अगर आप साल के अन्य माह में शिवजी की पूजा नहीं कर पाते, तो भी यदि आप इस महीने में आप भोले को पूरी श्रद्धा और विश्वास से पूजते हैं तो मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
लेकिन हर किसी के लिए शिव पूजा के कुछ नियम भी हैं। जिनका पालन करना बेहद जरूरी माना जाता है। अगर पूजा-पाठ में इनका ध्यान न रखा जाए, तो पूजा का कोई फल नहीं मिलता। तो आइए जानते हैं कि भोलेशंकर की पूजा में किन चीजों सेे परहेज रखना चाहिए।
पंडित शर्मा के अनुसार भगवान शंकर भूले से भी कभी हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित है। यही वजह है कि भोलेनाथ को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। कहा जाता है कि अगर आप शिवजी की पूजा में हल्दी का प्रयोग करते है तो इससे आपकी पूजा फलित नहीं होती है और आपकी पूजा का फल नहीं मिल पाता है। इसलिए भूलकर भी शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए।
: इसके अलावा भोलेनाथ को कभी भी नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। हालांकि यहां यह स्पष्ट कर दें कि शिवजी की पूजा तो नारियल से होती है लेकिन नारियल वर्जित है। शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली सारी चीज़ें निर्मल होनी चाहिए। यानी कि जिसका सेवन ना किया जाए। नारियल पानी देवताओं को चढ़ाने के बाद ग्रहण किया जाता है, इसलिए शिवलिंग पर नारियल पानी चढ़ाना वर्जित है। जबकि शिवजी की प्रतिमा पर नारियल चढ़ाया जा सकता है।
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: इसके साथ ही भोलेशंकर को कभी भी तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जालंधर नाम के असुर को अपनी पत्नी की पवित्रता और विष्णु जी के कवच की वजह से अमर होने का वरदान मिला हुआ था। अमर होने की वजह से वह पूरी दुनिया में आतंक मचा रहा था।
ऐसे में उसके वध के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव ने उसे मारने की योजना बनाई। जब वृंदा को अपने पति जालंधर की मृत्यु का पता चला तो वह बहुत दुखी और क्रोधित हो गईं। इसी क्रोध में उन्होंने भगवान शिव को शाप दिया कि उनके पूजन में तुलसी की पत्तियां हमेशा वर्जित रहेंगी।
: भोलेशंकर की पूजा में कभी भी लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाए जाते। इसके अलावा कुमकुम चढ़ाना भी वर्जित है। मान्यता है कि इन वस्तुओं को चढ़ाने से पूजा का फल नहीं मिलता है। ध्यान रखें कि भोले भंडारी को सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। इससे वे जल्दी प्रसन्न होते हैं।
कुमकुम को लेकर कहा जाता है कि हिंदू महिलाएं इसे अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं। क्योंकि भगवान शिव संहारक के रूप में जाने जाते हैं, इसलिए शिवलिंग पर कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता है।