धर्म

सनातन धर्म और हवन का रिश्ता

– जानें इसका महत्व और क्यों है ये प्रकृति के लिए लाभकारी- रामायण और महाभारत में भी यज्ञ और हवन का उल्लेख किया गया है।

Oct 14, 2022 / 10:29 pm

दीपेश तिवारी

सनातन / हिंदु धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करने में हवन का एक विशेष स्थान है। दरअसल हवन क्रिया के बिना कोई भी धार्मिक कर्मकांड पूर्ण नहीं माना जाता। इस संबंध में पंडित एके शुक्ला का कहना है जिस प्रकार नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा का महत्व है, वैसे ही धार्मिक अनुष्ठानों में हवन का महत्व होता है।
कुछ लोग जहां हवन को यज्ञ का ही छोटा रूप मानते हैं। वहीं अधिकांशत: हवन को ही यज्ञ के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें कई प्रकार की लकड़ियों से अग्नि प्रवज्जलित करके, घी और अन्य कई प्रकार की सामग्रीयों की आहुति दी जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान विद्वान पंडितो और महात्माओं द्वारा संस्कृत में श्लोक के उच्चारण किए जाते हैं। हवन यानि यज्ञ के अनेक महत्व हैं, ऐसे में आज हमें इसके संबंध में पं. एके शुक्ला बता रहे हैं…
हवन का धार्मिक महत्व
पंडित शुक्ला के अनुसार जैसा की हम सभी जानते हैं कि हिंदु धर्म में सदियों से ही हवन क्रियां की महत्ता का वर्णन किया गया हैं। भारत सदा से ही ऋषि मुनियों की धरती रही है और हमारे पुराणों में भी ऋषि मुनियों द्वारा यज्ञ हवन करने की प्रक्रियायों का जिक्र है।

इसकी प्राचीनता इसी से समझी जा सकती है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम द्वारा किया गया अश्वमेद्य यज्ञ भी एक यज्ञ ही था। और तो और जब भगवान शिव का विवाह हुआ था तब भी शिव विवाह के दौरान यज्ञ यानि विवाह के दौरान यज्ञ में दी जाने वाली आहुति का भी वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त महाभारत में भी यज्ञ और हवन का उल्लेख किया गया है।

दरअसल हवन के दौरान कुंड में अग्नि के माध्यम से देवताओं को अपनी इच्छा और कामना बताई जाती है। हवन कुंड अग्नि के द्वारा देवताओं को हवि पहुंचाने की प्रक्रियां को ही हवन कहा जाता है। हवि वह सामग्री होती है, जिसकी हवन के दौरान अग्नि में आहुति दी जाती है।

हवन प्रक्रियां में अग्नि प्रज्जवलित करने के लिए मुख्य तौर पर पीपल की सुखी लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है हवन के अंत में नौ ग्रहों को भी आहुति दी जाती है। इस दौरान अलग अलग पेड़ों की लकड़ियों को हवन की अग्नि में डाला जाता है, ये लकड़ियां आम, बड़, जामुन, जांटी आदि पेड़ों की होती है।

माना जाता है कि इन सब लकड़ियों औऱ सामग्रीयों से किया जाने वाला हवन घर में सकारात्मक उर्जा का विकास करके, बुरे विचारों और हवाओं को दूर करता है। हवन से दुख बीमारियां तो दूर होती ही है साथ ही परिवार में शांति होती है।

हवन या यज्ञ : प्रकृति के लिए विशेष
प्राचीन वक्त से ही हमारे ऋषि मुनियों नें हवन के शोध करके ये निष्कृष निकाला था की हवन से उठने वाले धुएं से वातावरण शुद्ध होता है और प्रदूषण कम होता है। हवन कुंड में प्रयोग की जाने वाली सामग्री, घी और लकड़ियों के अपने अपने गुणों के फलस्वरुप हानिकारक गैसों का नाश होता है और वातावरण शुद्ध होता है। इसके साथ साथ परंपरा के हिसाब से हवन करने के लिए किसी भी पेड़ को नहीं काटा जाता, बल्कि जो लकड़ियां सूख कर टूट जाती हैं उन्हीं का प्रयोग हवन में किया जाता है। इस प्रकार हवन प्रकृति के लिए लाभकारी होता है।

ये है हवन या यज्ञ का वैज्ञानिक आधार
वहीं विज्ञान के शोधों से भी यही पता चलता है कि हवन कुंड में इस्तेमाल किए जाने तत्वों के धुएं में ऐसे लाभकारी तत्व होते हैं, जो प्रयावरण के प्रदूषण की ताकत को कम करके हवा की शुद्धता बढाते हैं।

ऐसे समझें हवन या यज्ञ का चिकित्सीय महत्व
हवन का सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि चिकित्सीय महत्व भी होता हैं। नित्य हवन प्रक्रिया करने वाले लोग कई प्रकार की बीमारियों से बचे रहते हैं। एक हवन से एक परिवार के साथ—साथ आस पास के लोगों को भी लाभ मिलता है। हवन का धुआं मस्तिष्क, फेफड़ों और श्वास संबंधी समस्याओं को दूर करता है। इसके अलावा बताय जाता है कि हवन का धुआं टाईफाईड जैसे रोगों को भी खत्म करने की क्षमता रखता है।

आर्य समाज में भी है हवन का महत्व
आर्य समाज की मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को नित्य हवन करना चाहिए, यह ना सिर्फ अपने लिए फायदेमंद होता है बल्कि इससे पूरे वातावरण में शुद्धता आती है। एक हवन से कई फायदे इंसान को हो सकते हैं, इसलिए हवन को सिर्फ धर्म से ना जोड़े, ये मानव जाति के हित की प्रक्रिया है।

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