हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ ही भक्त इस अवसर पर भगवान शिव के नाम पर व्रत रखते हुए उनकी पूजा अर्चना आदि करते हैं। वहीं शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत बेहतर सेहत और लंबी आयु के लिए रखा जाता है। मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अति विशेष माना गया हैं।
वहीं जानकारों के अनुसार प्रदोष काल उस समय को कहते है जो सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले का काल होता है। माना जाता है कि यदि कोई भक्त इस दिन सच्चे मन और पूरी निष्ठा के साथ ये व्रत करता है तो उस भक्त की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
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प्रदोष व्रत तिथि
अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना के साथ ही उनके नाम पर उपवास भी किया जाता है,जिसे प्रदोष प्रदोष व्रत कहा जाता है।
यहां ये बात जान लें कि प्रदोष व्रत का नाम सप्ताह के वारों पर आधारित होता है, जैसे सोमवार को पड़ने वाला व्रत सोम प्रदोष , मंगलवार का मंगल प्रदोष, शनिवार का शनि प्रदोष कहलाता है। ऐसे ही इस बार चूकिं प्रदोष रविवार के दिन पड़ रहा है अत: इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
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शुभ समय : प्रदोष व्रत – 17 अक्टूबर, 2021
प्रदोष व्रत तिथि शुरु- रविवार,17 अक्टूबर, 2021- 05:42 AM से
प्रदोष व्रत तिथि की समाप्ति- 18 अक्टूबर, 2021, सोमवार- 6:07 AM तक
पूजा का शुभ समय- रविवार, 17 अक्टूबर, 2021- 05:49 PM से लेकर 8:20 PM तक
रवि प्रदोष व्रत महत्व
प्रदोष व्रत के संबंध में मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है। वहीं इस बार रविवार को प्रदोष रहेगा। ऐसे में जानकारों का कहना है कि मान्यता के अनुसार रवि प्रदोष पर व्रत और पूजा-पाठ करने से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं ये भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से भगवान शिव भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि इस दिन शिवलिंग की पूजा करने से कुंडली में मौजूद चंद्र ग्रह संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं।