कलश स्थापना मुहूर्त: सुबह 6:30 बजे से सुबह 7:30 बजे तक (द्विस्वभाव मीन लग्न के दौरान)
पूजा का समयः सुबह 7:50 से 9:26 बजे तक
सुबह 10:57 से 12:27 बजे तक
दोपहर 3:30 से 4:50 बजे तक
प्रदोष काल पूजा समय शाम 5:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक
प्रतिपदा तिथि का प्रारंभः दृक पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च 10.52 पीएम से हो रही है।
प्रतिपदा तिथि का समापनः 22 मार्च 8.20 पीएम
मीन लग्न का प्रारंभः 22 मार्च 6.23 एएम
मीन लग्न का समापनः 22 मार्च 7.36 एएम
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नवरात्रि के पहले दिन बन रहे ये योग
शुक्ल योगः चैत्र नवरात्रि के पहले दिन 21 मार्च रात 12.42 बजे से ही 22 मार्च को सुबह 9.18 बजे तक शुक्ल योग बन रहा है। इस योग में किए गए कार्यों में निश्चित रूप से सफलता मिलती है। यानी जिस इच्छा की पूर्ति की कामना से पूजा की जाएगी, वह जरूर पूरी होगी। इसलिए इस योग में जिस प्रार्थना के निमित्त भक्त नव दुर्गा उत्सव में पूजा शुरू करेंगे, वह जरूर पूरी होगी।
ब्रह्म योगः चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह 9.18 बजे से शाम 6.16 बजे के बीच ब्रह्म योग बन रहा है, इस समय में विवाद आदि सुलझाना अच्छा माना जाता है और यह योग भी अधिकांश शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है।
अमृतकालः दृक पंचांग के अनुसार 22 मार्च को 11.07 एएम से 12.35 पीएम तक अमृतकाल मुहूर्त है, यह एक शुभ मुहूर्त है। इस मुहूर्त में भी किए जाने वाले सारे काम पूरे होते हैं।
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विजय मुहूर्तः दृक पंचांग के अनुसार 22 मार्च को 2.29 पीएम से 3.18 पीएम तक विजय मुहूर्त बन रहा है। यह बेहद शुभ मुहूर्त है, इस मुहूर्त में किया जाने वाला हर कार्य पूरा होता है।
निशिता मुहूर्तः नवरात्रि में भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए, इससे भक्त पर माता आदिशक्ति कृपा करती हैं। वहीं भगवान शिव की पूजा निशिता मुहूर्त में शुभ फलदायी होता है, और 23 मार्च 12.03 एएम से 12.51 एएम तक इस पूजा को करने का भक्तों को मौका मिलेगा। इस नवरात्रि में माता आदिशक्ति के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दिन भगवान शिव की पूजा से माता प्रसन्न होंगी।