उत्तर और दक्षिण कोशल राज्य
रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. सुरेश्वर शर्मा श्रीराम और रामायण पर पिछले 20 वर्षों से रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने बताया पूर्व में उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल दो राज्य हुआ करते थे। जो वर्तमान में उत्तर कोशल-उत्तर प्रदेश बना और दक्षिण कोशल विभाजन पूर्व का मध्यप्रदेश कहलाता है। बाल्मीकि और वशिष्ठ रामायण में स्पष्ट लिखा कि मप्र का महाकोशल क्षेत्र माता कौशल्या का मायका हुआ करता था। छत्तीसगढ़ के लोग आज भी प्रदेश को श्रीराम का ननिहाल मानते हैं। मध्य प्रदेश में भले ही कम लोगों को इस बात की जानकारी हो, लेकिन यह सच है कि श्रीराम को भांजा मानते हुए यहां लोग आज भी अपने भांजों के पैर छूते हैं। भांजे को पूज्य माना जाता है।
कौशल्या को बनाया रानी
गुप्तेश्वर धाम के पीठाधीश्वर स्वामी डॉ. मुकुंददास महाराज के अनुसार बाल्मिक रामायण और वशिष्ठ रामायण में प्रदेश के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में रावण की चौकियां हुआ करती थीं। महाकोशल क्षेत्र जिमसें कुछ हिस्सा अब छत्तीसगढ़ चला गया है, भी शामिल था। यही महाकोशल माता कौशल्या का मायका कहलाता है। जिसमें 18 से अधिक जिले हुए करते थे। जब राजा दशरथ ने राजसूय यज्ञ किया तब वे विंध्य के राजाओं से मिलने भी आए, जहां माता कौशल्या को देखकर प्रभावित हुए और उन्हें अपनी रानी बना लिया। यही नहीं श्रीराम जब वनवास गए तब वे ननिहाल होते हुए ही दक्षिण भारत की ओर गए थे।
महाकोशल में था मायका
इतिहासकार अरुण शुक्ल व डीपी गुप्ता की मानें तो माता कौशल्या का जन्म महाकोशल में ही हुआ था। इसी आधार पर उनका नाम कौशल्या पड़ा। उस समय महाकोशल क्षेत्र कोशल कहलाता था। मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद इसका कुछ हिस्सा अब छत्तीसगढ़ में चला गया है। विशेष बात यह है कि महाकौशल के साथ छत्तीसगढ़ में यही परंपरा निभायी जाती है। वहां भी लोग भांजों का सम्मान करते हैं।