राखी बांधते समय ये मंत्र पढ़ें
‘येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:’
अर्थ- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस मंत्र का अर्थ यह है कि, “जिस प्रकार रक्षा सूत्र से दानवों के पराक्रमी राजा बलि को बांधा गया था उसी प्रकार इस रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधती हूं जो तुम्हारी रक्षा करे। हे रक्षा सूत्र! तुम चलायमान न हो अर्थात स्थिर रहना।”
विष्णु पुराण से संबंध
धर्म शास्त्रों के अनुसार राखी पर पढ़े जाने वाले इस मंत्र का जिक्र विष्णु पुराण तथा भविष्य पुराण में भी मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार राजा बलि एक दानवीर राजा का और भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था। एक बार राजा बलि ने यज्ञ का आयोजन किया तो उसकी परीक्षा लेने के लिए विष्णु भगवान स्वयं वामन अवतार में आए और राजा बलि से दान में तीन पग भूमि देने के लिए कहा।
लेकिन भगवान विष्णु ने दो पग में ही पूरी धरती और आकाश को नाप लिया। तब राजा बलि इस बात को जान गए कि भगवान उनकी परीक्षा लेने आए हैं। इसके बाद तीसरे पग के लिए राजा बलि ने विष्णु जी जो वामन अवतार में आए थे उनका पैर अपने सर पर रखवा लिया। अपना सब कुछ दान में देने के बाद राजा बलि ने प्रार्थना की कि ईश्वर आप मेरे साथ चलकर पाताल लोक में रहें। भगवान विष्णु राजा बलि की बात मानकर पाताल लोक चले गए। बहुत समय तक विष्णु भगवान को ना पाकर लक्ष्मी जी परेशान होने लगीं।
भगवान विष्णु को वापस लाने के लिए लक्ष्मी जी ने एक गरीब महिला का वेश धारण कर लिया और राजा बलि के पास पहुंची। महिला की गरीबी देखकर राजा बलि ने उन्हें अपने साथ ही रख लिया और बहन मानकर देखरेख करने लगा। जब श्रावण मास की पूर्णिमा आई तो गरीब महिला के रूप में लक्ष्मी जी ने राजा बलि की कलाई पर कच्चा धागा बांध दिया। तब राजा बलि ने अपनी बहन को कुछ देने के लिए कहा।
तब जाकर लक्ष्मी जी अपने असली रूप में आईं। लक्ष्मी जी ने राजा बलि से कहा कि मैं यहां पर भगवान विष्णु को वापस बैकुंठ ले जाने आई हूं। गरीब महिला की सच्चाई पता लगने के बाद राजा बलि अपने वचन पर कायम रहे और भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ वैकुंठ जाने दिया। लेकिन जाने से पहले विष्णु जी ने राजा बलि को यह वरदान दिया कि वह हर वर्ष के 4 महीने पाताल लोक में निवास करने आया करेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं चार महीनों को चातुर्मास कहते हैं जिस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं।