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Ashadha Pradosh Vrat 2022: आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत 26 जून को, शिव जी को प्रसन्न करना है तो व्रत में कभी न करें ये काम

Pradosh Vrat Rules 2022: हिंदू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत भोलेनाथ को समर्पित माना जाता है। माना जाता है कि पूरे विधि विधान से व्रत और पूजन करने वाले व्यक्ति को शिव भगवान की खास कृपा प्राप्त होती है। लेकिन व्रत के दौरान इन नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी माना गया है।

Jun 25, 2022 / 01:28 pm

Tanya Paliwal

Ashadha Pradosh Vrat 2022: आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत 26 जून को, शिव जी को प्रसन्न करना है तो व्रत में कभी न करें ये काम

Pradosh Vrat 2022 Ke Niyam: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। यानी हर महीने दो प्रदोष व्रत, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। वहीं हिंदू धर्म में आषाढ़ मास के प्रदोष व्रत का भी बहुत महत्व बताया गया है। इस साल 2022 में आषाढ़ महीने में पहला प्रदोष व्रत 26 जून को, रविवार को पड़ रहा है। रविवार को पड़ने के कारण यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा।

मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक प्रदोष व्रत करता है उसकी भगवान शिव के आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसके मान-सम्मान में वृद्धि होती है। कुछ लोग फलाहार से व्रत रखते हैं तो कोई निर्जला। लेकिन शास्त्रों के अनुसार इस व्रत में कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है अन्यथा भगवान शिव नाराज हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं प्रदोष व्रत में क्या नहीं करना चाहिए…

मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दौरान सादा नमक, चावल, अनाज और लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही फलाहार करने वाले लोगों को बार-बार फलाहार करके मुंह झूठा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे व्रत नहीं लगता है। दिन में केवल एक बार ही फलाहार करना चाहिए।

प्रदोष व्रत में कभी भी कटे-फटे कपड़े नहीं पहनने चाहिए। सुबह स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र ही धारण करें।

शास्त्रों के अनुसार भगवान भोलेनाथ की पूजा में लाल सिंदूर का इस्तेमाल करने की मनाही होती है। क्योंकि भगवान भोलेनाथ को संहारक के रूप में पूजा जाता है इसलिए उन पर लाल सिंदूर चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता। आप उनकी पूजा में ठंडी प्रकृति वाले चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

हिंदू धर्म में श्रीफल यानी नारियल को पूजापाठ और हवन आदि में बहुत शुभ माना जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत में पूजा के दौरान भगवान शिव को नारियल का पानी अर्पित नहीं करना चाहिए क्योंकि नारियल को लक्ष्मी जी का स्वरूप माना जाता है इसलिए शास्त्रों के अनुसार नारियल के पानी से भोलेनाथ का अभिषेक करना वर्जित है।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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