अलग-अलग प्रहर में पूजा का समय रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समयः 6.18 पीएम से 9.26 पीएम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा का समयः 9.26 पीएम से 19 फरवरी 12.34 एएम
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा का समयः 19 फरवरी 12.34 एएम से 3.42 एएम
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समयः 19 फरवरी 3.42 एएम से 6.50 एएम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा का समयः 9.26 पीएम से 19 फरवरी 12.34 एएम
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा का समयः 19 फरवरी 12.34 एएम से 3.42 एएम
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समयः 19 फरवरी 3.42 एएम से 6.50 एएम
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स्नान के बाद ही करें पूजा 1. महाशिवरात्रि के दिन भक्तों को संध्या पूजा स्नान के बाद ही करनी चाहिए या मंदिर जाना चाहिए।
स्नान के बाद ही करें पूजा 1. महाशिवरात्रि के दिन भक्तों को संध्या पूजा स्नान के बाद ही करनी चाहिए या मंदिर जाना चाहिए।
2. शिव पूजा रात में करनी चाहिए और अगले दिन स्नान के बाद ही पारण करना चाहिए।
3. व्रत के पूर्ण फल के लिए सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि अस्त होने के मध्य व्रत का पारण करना चाहिए। हालांकि इस पर विद्वानों में मतभेद है। एक अन्य मान्यता के अनुसार चतुर्दशी तिथि के बाद ही पारण करना चाहिए।
3. व्रत के पूर्ण फल के लिए सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि अस्त होने के मध्य व्रत का पारण करना चाहिए। हालांकि इस पर विद्वानों में मतभेद है। एक अन्य मान्यता के अनुसार चतुर्दशी तिथि के बाद ही पारण करना चाहिए।
महाशिवरात्रि पर यह न चढ़ाएं पुरोहितों के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ को इन चीजों को अर्पित करने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे महादेव नाराज हो सकते हैं।
1. शंख से न करें अभिषेकः भगवान शिव का शंख से जलाभिषेक नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि भगवान शिव ने शंखचूर नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए उनकी पूजा में शंख वर्जित है।
2. पूरी परिक्रमा न करें: भगवान शिव की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। भगवान शिव की आधी परिक्रमा ही करनी चाहिए।
1. शंख से न करें अभिषेकः भगवान शिव का शंख से जलाभिषेक नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि भगवान शिव ने शंखचूर नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए उनकी पूजा में शंख वर्जित है।
2. पूरी परिक्रमा न करें: भगवान शिव की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। भगवान शिव की आधी परिक्रमा ही करनी चाहिए।
3. बेलपत्र चढ़ाते समय रखें ध्यानः बेलपत्र अर्पित करते समय देख लें, कटे फटे बेलपत्र न हों और तीन पत्तियों वाले दल को ही अर्पित करें, जिसके लिए संभव हो, वो खुद बेलपत्र तोड़कर भगवान को अर्पित करे।
4. शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये चीजें और फूलः धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शिवलिंग पर हल्दी, सिंदूर, रोली, कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए। पीला चंदन चढ़ा सकते हैं। वहीं, केतकी, कनेर, तुलसी कमल आदि न चढ़ाएं। इसके बदले बेलपत्र, भांग, धतूरा चढ़ाएं।
5. इसके अलावा पूजा की थाली में टूटे अक्षत भी नहीं रखना चाहिए।
5. इसके अलावा पूजा की थाली में टूटे अक्षत भी नहीं रखना चाहिए।