scriptहिन्दू धर्म में स्वस्तिक का महत्व, जानें स्वास्तिक का अर्थ | Importance of Swastika in Hinduism: know the meaning of Swastik | Patrika News
धर्म

हिन्दू धर्म में स्वस्तिक का महत्व, जानें स्वास्तिक का अर्थ

स्वास्तिक शब्द को ‘सु’ और ‘अस्ति’ का योग माना जाता है।

Nov 18, 2019 / 01:19 pm

Devendra Kashyap

swastik12.jpg
हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाकर उसकी पूजा करने का महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से कार्य सफल होता है। स्वास्तिक के चिह्न को मंगल प्रतीक भी माना जाता है।
swastik.jpg
दरअसल, स्वास्तिक शब्द को ‘सु’ और ‘अस्ति’ का योग माना जाता है। यहां ‘सु’ का अर्थ है शुभ और ‘अस्ति’ का अर्थ होना। अर्थात स्वास्तिक का अर्थ है शुभ होना।

swastik1234.jpg
हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के दौरान स्वास्तिक को पूजना अति आवश्यक माना गया है। स्वास्तिक में चार प्रकार की रेखाएं होती हैं, जिनका आकार एक समान होता है। लेकिन असल में स्वास्तिक का यह चिह्न क्या दर्शाता है?
swastik1234.jpg
पौराणिक मान्यता के अनुसार, ये रेखाएं चार दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर व दक्षिण की ओर इशारा करती हैं। लेकिन हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, यह रेखाएं चार वेदों ( ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद और सामवेद ) का प्रतीक है।
swastik12345.jpg
मान्यता ये भी है कि स्वस्तिक की चार रेखाएं सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा के चार सिरों को दर्शाती हैं। इसके अलावे इन चार रेखाओं की चार पुरुषार्थ, चार आश्रम, चार लोक और चार देवों ( ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गणेश ) से तुलना की गई है।
swastik1.jpg
मान्यता है कि यदि स्वास्तिक की चार रेखाओं को भगवान ब्रह्मा के चार सिरों के समान है, तो मध्य में मौजूद बिंदु भगवान विष्णु की नाभि है, जिसमें से भगवान ब्रह्मा प्रकट होते हैं। स्वास्तिक की चार रेखाएं एक घड़ी की दिशा में चलती है, जो संसार के सही दिशा में चलने का प्रतीक है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion News / हिन्दू धर्म में स्वस्तिक का महत्व, जानें स्वास्तिक का अर्थ

ट्रेंडिंग वीडियो