500 से अधिक मंचों व गांवों में गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी
इस गांव में गेड़ी की शुरुआत स्कूल में शिक्षक रहे सुभाष बेलचंदन ने की। बीते साल उनकी मौत के बाद अब इस गेड़ी नृत्य को उनके दोस्त जितेंद्र साहू व उनकी पूरी टीम संभाल रही है। अब तक टीम ने छत्तीसगढ़ के अलावा देश की राजधानी दिल्ली सहित लगभग 500 से अधिक मंचों व गांवों में गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी है। यह भी पढ़ें
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टीम में शामिल हैं ये कलाकार
अशोक निषाद, जितेंद्र साहू, मोरध्वज, टेकूराम, अंकालूराम यादव, शेषलाल, जंताराम, राधेश्याम, विनय कुमार, पिनेश, रुपेश, बाबूलाल, जागृत, सुपेश, विकेश व अवध राम आदि शामिल हैं।हरेली पर गेड़ी दौड़ हमारी संस्कृति व परंपरा
गेड़ी नृत्य के संचालक जितेंद्र साहू नें बताया कि गेड़ी हमारी संस्कृति व परंपरा है और हमें अपनी संस्कृति को भूलना नहीं हैं। आज यहां के युवाओं ने मिलकर इस गेड़ी नृत्य को जिंदा रखा हैं। जिले के अधिकांश गांवों में गेड़ी विलुप्त हो चुकी है। लोगों को गेड़ी के प्रति फिर से जागरूक करने व अपनी संस्कृति को बचाने गेड़ी नृत्य करते हैं। यह भी पढ़ें
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जिले को दी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
गेड़ी नृत्य के माध्यम से जिले को अंतराष्ट्रीय स्तर में पहचान दिलाई है। पूरे छत्तीसगढ़ में अगर गेड़ी नृत्य की जिक्र होता हैं तो सबसे पहले बालोद जिले के चिलमगोटा के इन गेड़ी कलाकारों का जिक्र होता है। प्रदेश में कहीं भी छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्यौहार हो, वहां इस गेड़ी नृत्य टीम की भी प्रस्तुति देखने को मिलती है।हरेली पर्व आज, कृषि औजारों और गोधन की होगी पूजा, बनेगी ठेठरी, खुरमी व पकवान
बालोद. छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली पर्व रविवार को जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत तरीके से मनाया जाएगा। कृषि औजारों व गोधन की विशेष पूजा कर अच्छी फसल की प्रार्थना की जाएगी। यही नहीं गोधन को औषधि भी खिलाई जाएगी। ग्रामीण अंचल में इस पर्व को लेकर एक दिन पहले ही तैयारी पूरी कर ली गई है। यह भी पढ़ें