पुरोहितों का कहना है कि वैसे तो गणेशजी प्रथम पूज्य हैं, बगैर इनकी पूजा के कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं होता. लेकिन बुधवार के दिनअगर विघ्न विनाशक गणेश की पूजा करें तो ये आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। बुधवार के दिन पूजा से गणेशजी भक्त के सभी दुख हर लेते हैं। इनका कहना है कि गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए यह सरल विधि अपनानी चाहिए।
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1. सुबह स्नान ध्यान से निवृत्त होकर पूर्व दिशा में मुंह कर आसन पर बैठें।
2. एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेशजी को आसन दें, यदि पार्वती नंदन की मूर्ति नहीं है तो चौकी पर एक पात्र में अक्षत रखकर उस पर एक सुपाड़ी को कलावा में लपेटकर रख दें।
3. पूजा शुरू करने से पहले घी का दीपक जलाकर चौकी के दाहिने भाग में चावल पर रख दें और ऊं दीप ज्योतिषे नमः मंत्र बोलकर रोली और पुष्प अर्पित करें।
4. मन में प्रार्थना करें कि हे देव! आप मेरी पूजा के साक्षी हैं, पूजा संपन्न होने तक ऐसे ही स्थिर रहना।
दीपक जलाते वक्त इस मंत्र का वाचन करें
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया,
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् ।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने,
त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत।
5. इसके बाद कहें हे सुमुख! आपका स्मरण करता हूं। आपको नमस्कार है, आप आसन स्वीकार करें। मिट्टी की मूर्ति है तो शुद्ध जल से छींटा मारें और धातु की है तो स्नान कराएं।
1. सुबह स्नान ध्यान से निवृत्त होकर पूर्व दिशा में मुंह कर आसन पर बैठें।
2. एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेशजी को आसन दें, यदि पार्वती नंदन की मूर्ति नहीं है तो चौकी पर एक पात्र में अक्षत रखकर उस पर एक सुपाड़ी को कलावा में लपेटकर रख दें।
3. पूजा शुरू करने से पहले घी का दीपक जलाकर चौकी के दाहिने भाग में चावल पर रख दें और ऊं दीप ज्योतिषे नमः मंत्र बोलकर रोली और पुष्प अर्पित करें।
4. मन में प्रार्थना करें कि हे देव! आप मेरी पूजा के साक्षी हैं, पूजा संपन्न होने तक ऐसे ही स्थिर रहना।
दीपक जलाते वक्त इस मंत्र का वाचन करें
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया,
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् ।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने,
त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत।
5. इसके बाद कहें हे सुमुख! आपका स्मरण करता हूं। आपको नमस्कार है, आप आसन स्वीकार करें। मिट्टी की मूर्ति है तो शुद्ध जल से छींटा मारें और धातु की है तो स्नान कराएं।
6. गणेशजी को पुष्प, शुद्ध स्थान से चुनी दूर्वा, अक्षत लेकर नीचे लिखा मंत्र पढ़कर ध्यान करें
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफल चारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।।
इसके बाद नीचे लिखा मंत्र पढ़कर पुष्प आदि अर्पित करें
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो,
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः।
7. इस मंत्र के साथ यज्ञोपवीत अर्पित करें
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्,
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।
8. नीचे लिखे मंत्र का वाचन करते हुए मोदक, बूंदी के लड्डू का भोग अर्पित करें
नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरू,
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम् ।
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च,
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद।
9. घर में विवाद की स्थिति हो तो पूजा के लिए सफेद प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए और सफेद मोदक का भोग लगाना चाहिए।
10. इसके बाद विभिन्न नाम से गणेशजी को सभी सामग्री अर्पित करें।
11. ऊं गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
12. इसके बाद सभी देवताओं का ध्यान कर, जय जयकार करें और पूजा में त्रुटि के लिए क्षमा मांगें।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफल चारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।।
इसके बाद नीचे लिखा मंत्र पढ़कर पुष्प आदि अर्पित करें
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो,
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः।
7. इस मंत्र के साथ यज्ञोपवीत अर्पित करें
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्,
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।
8. नीचे लिखे मंत्र का वाचन करते हुए मोदक, बूंदी के लड्डू का भोग अर्पित करें
नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरू,
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम् ।
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च,
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद।
9. घर में विवाद की स्थिति हो तो पूजा के लिए सफेद प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए और सफेद मोदक का भोग लगाना चाहिए।
10. इसके बाद विभिन्न नाम से गणेशजी को सभी सामग्री अर्पित करें।
11. ऊं गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
12. इसके बाद सभी देवताओं का ध्यान कर, जय जयकार करें और पूजा में त्रुटि के लिए क्षमा मांगें।