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Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी को क्यों कहा जाता है कलंक चतुर्थी?

हिन्दू धर्म में गणाधिपति भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल बुधवार, 31 अगस्त 2022 को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। इसे कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है।

Aug 26, 2022 / 02:09 pm

Tanya Paliwal

Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी को क्यों कहा जाता है कलंक चतुर्थी?

Ganesh Chaturthi 2022: हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी या गणेश चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस साल 31 अगस्त 2022, बुधवार को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। यह दिन देवों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने और व्रत रखने से बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता हो। शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जात है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन को वर्जित माना गया है। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी…

क्यों कहते हैं गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश बड़े ही प्रेम और चाव से अपने मनपसंद मिष्ठान खा रहे थे। उसी समय वहां से चंद्रदेव गुजर रहे थे। उन्होंने भगवान गणेश को इस तरह तल्लीन होकर मिठाइयां खाता देखा तो चंद्रदेव न केवल जोर-जोर से हंसने लगे बल्कि गणपति जी के पेट और सूंड का मजाक भी उड़ाया।

चंद्रमा के इस बर्ताव से गणेश जी को बहुत गुस्सा आ गया। फिर उन्होंने चंद्रदेव को श्राप देते हुए कहा कि, ‘तुम्हें अपने रूप का बहुत घमंड है तो इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम अपना रूप खो दोगे, तुम्हारी सारी कलाएं नष्ट हो जाएंगी और जो कोई भी तुम्हें देखेगा उसे भी कलंकित होना पड़ेगा।’

यह घटना जिस दिन हुई उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी। फिर गणेश जी के श्राप से दुखी चंद्रदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ। फिर उन्होंने गणेश जी को खुश करने के लिए सभी देवी-देवताओं के साथ मिलकर पूजा की। इससे गणेश जी प्रसन्न हो गए। तब चंद्रमा ने अपनी गलती के लिए उनसे माफी मांगी।

इसके बाद गणेश जी ने प्रसन्न होकर एक वरदान मांगने को कहा। तब सभी देवों ने चंद्रदेव को क्षमा करने और अपना श्राप वापस लेने का वरदान मांगा। ऐसे में लंबोदर ने कहा कि, ‘मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता परंतु इसे सीमित अवश्य कर सकता हूं।’

तब गणेश जी ने कहा कि, महीने के 15 दिन तो चंद्रदेव की कलाएं बढ़ेंगी और 15 दिन क्षीण होंगी। कलंकित होने के कारण केवल चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन वर्जित होगा। लेकिन अगर किसी से भूलवश चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तो उसे इस श्राप के प्रभाव से मुक्ति के लिए पांच पत्थर किसी अन्य की छत पर फेंकने होंगे ताकि उसे कोई दोष न लगे। मान्यता है कि तभी से इस तिथि को कलंक चतुर्थी या पत्थर चौथ कहा जाने लगा।

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