व्रत खोलने के लिए करें यह काम
- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसीदल प्रिय है। इसलिए उनकी पूजा में तुलसी न हो तो वह पूजा या भोग स्वीकार नहीं करते। इसलिए भगवान विष्णु के व्रत में तुलसी का प्रयोग जरूरी है। साथ ही एकादशी व्रत के पारण के लिए भी तुलसी पत्र को मुंह में डाल कर करना चाहिए।
- मान्यता है कि आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए आंवले का भी एकादशी व्रत के लिए विशेष महत्व होता है। इसलिए एकादशी व्रत का पारण करने के दौरान आंवला खाना चाहिए। इससे अखंड सौभाग्या, आरोग्य और संतानसुख की प्राप्ति होती है।
- एकादशी व्रत में चावल खाने पर रोक है, इसलिए एकादशी व्रत पारण चावल खाकर करने का नियम है। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से मृत्यु के बाद प्राणी का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है।
- सेम को कफ और पित्त नाशक माना गया है। ऐसे में पारण के समय सेम को अच्छे भोज्य पदार्थ के रूप में माना जाता है।
- मान्यता है कि एकादशी व्रत पारण के लिए पकाए जा रहे भोजन में गाय के घी का प्रयोग जरूर करना चाहिए। ये सेहत के लिए भी अच्छा होता है।
ये भी पढ़ेंः Santan Prapti Me Badha: ये ग्रह संतान सुख में कराते हैं देरी, जल्दी बच्चे के लिए राशि अनुसार करें ये उपाय
एकादशी व्रत पारण में भूल कर भी न करें इन वस्तुओं का प्रयोग
एकादशी व्रत पारण में मूली, बैंगन, साग, मसूर दाल, लहसुन-प्याज आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि बैंगन पित्त दोष और उत्तेाजना बढ़ाता है और मसूर की दाल अशुद्ध मानी जाती है। वहीं, मूली की तासीर ठंडी होती है, इसलिए यह व्रत के ठीक बाद सेहत के लिए सही नहीं होती। इसके अलावा लहसुन प्याज तामसिक भोज्य पदार्थ माना जाता है, इसलिए व्रत पारण में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसकी अनदेखी पर उत्तेजना, क्रोध, हिंसा और अशांति की भावना बढ़ती है।