परिवार के लिए समय निकालकर बातचीत करें
चाणक्य नीति के अनुसार परिवार को एक साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी घर के मुखिया की होती है। ऐसे में परिवार के लिए समय निकालकर उनसे बातचीत करना बहुत जरूरी है, ताकि कोई भी समस्या हो तो उसे समझकर हाल किया जा सके। इससे आपसी प्रेम बना रहता है और मन में कोई बात नहीं रहती।
बेफिजूल का खर्चा न करें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि घर के बड़ों से ही बच्चे सीखते हैं। ऐसे में परिवार के मुखिया को भी अपना हर निर्णय सोच-समझकर लेना चाहिए। अपनी आदतों को सुधारना चाहिए। इसलिए ध्यान रखें कि घर के अन्य सदस्यों को धन का मोल समझाने के लिए आपको भी फिजूलखर्ची से बचना होगा। बचत करें और अन्य लोगों को भी इसकी सीख दें ताकि भविष्य सुरक्षित रह सके।
भाई-बंधुओं से अच्छे संबंध रखें
चाणक्य नीति में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि घर में सुख-शांति और सकरात्मकता बनाए रखने के लिए घर के मुखिया को अपने भाई-बंधुओं से बेहतर संबंध बनाए रखना चाहिए। अन्यथा आपके पूरे परिवार पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है। वहीं अन्य सदस्यों में भी अलगाव की स्थिति पैदा हो सकती है।