सामाजिक कार्यों में
आचार्य चाणक्य के मुताबिक हर मनुष्य को अपनी आमदनी का कुछ भाग जरूर सामाजिक कार्यों जैसे विद्यालय, धर्मशाला, अस्पताल आदि के निर्माण के लिए देना चाहिए। ऐसे समाज की भलाई के काम में अपनी सामर्थ्य अनुसार दान देने से लोगों की दुआएं आपको मिलती हैं और देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।
रोगियों की मदद के लिए
व्यक्ति हमेशा अपने लिए सुविधाएं जुटाने में लगा रहता है। लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिनके लिए पैसा खर्च करते समय कभी नहीं हिचकिचाना चाहिए जिनमें से एक किसी मजबूर और बीमार व्यक्ति की सहायता करना है। किसी गरीब व्यक्ति की बीमारी में अगर आप उसकी अपने धन से मदद कर पाएं तो बिना सोचे-समझे कर दें। चाणक्य नीति के अनुसार किसी का जीवन बचा पाना बहुत बड़ा परोपकार का काम है। इससे प्राप्त होने वाले पुण्यफल से मनुष्य अपने जीवन में उन्नति के पथ पर आगे बढ़ता है।
धार्मिक स्थानों पर दान के लिए
आचार्य चाणक्य अपनी नीति में कहते हैं कि धार्मिक कार्यों में लगाया गया धन बहुत पुण्यदायी माना जाता है। इसके लिए आप मंदिर जैसे किसी धार्मिक स्थल के निर्माण के काम में या वहां प्याऊ लगवाने के लिए अपना पैसा दे सकते हैं। इसमें आपको तनिक भी संकोच नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में भी सकरात्मकता आती है।
यह भी पढ़ें: Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी को क्यों कहा जाता है कलंक चतुर्थी?