प्रातः 6.30 से प्रातः 7.30
प्रातः 7.50 से 9.26 तक
प्रातः 10.57 से 12.27 तक
दोपहर 3.30 से 4.50 तक
प्रदोषकाल में पूजा समय 5.00 बजे से शाम 6.30 बजे तक ये भी पढ़ेंः Navratri Pujan Samagri: दुर्गा पूजा के लिए जरूरी है यह सामग्री, जुटा लें वर्ना होगी परेशानी
मां शैलपुत्रीः नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है। माता शैलपुत्री को शुद्ध देसी घी से बने भोग भेंट करने चाहिए और इस स्वरूप को गुड़हल का फूल प्रिय है। भक्त लाल और सफेद गुड़हल अर्पित कर सकते हैं, लेकिन सुहागिन स्त्रियों को लाल गुड़हल ही अर्पित करना चाहिए। घी का भोग अर्पित करने से भक्त को निरोगी काया प्राप्त होती है।
माता ब्रह्मचारिणीः नवरात्रि के दूसरे दिन आदिशक्ति के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस स्वरूप को सेवंती के पुष्प और हरे रंग की चीजें प्रिय हैं। माता को दूसरे दिन शक्कर या मिसरी का भोग लगाना चाहिए। इससे भक्त को लंबी आयु प्राप्त होती है, उसकी मनोकामना भी पूरी होती है।
चंद्रघंटाः नवरात्रि का तीसरा दिन माता दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस स्वरूप को दूध और दूध से निर्मित वस्तुएं प्रिय हैं। इसलिए इन्हें खीर का भोग लगा सकते हैं, ऐसा करने से व्यक्ति को दुखों से मुक्ति मिलती है। वहीं, माता चंद्रघंटा को कमल पुष्प प्रिय है। यह पुष्प अर्पित करने से माता प्रसन्न होकर नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं।
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माता कुष्मांडाः नवरात्रि के चौथे दिन आदिशक्ति के चौथे स्वरूप कुष्मांडा की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि मां के इस स्वरूप को मालपुआ प्रिय है, यह भोग माता को अर्पित करने से माता प्रसन्न होती हैं। इससे बुद्धि का विकास होता है। वहीं, माता कुष्मांडा को चमेली का पुष्प अर्पित करना चाहिए। इससे इंद्रियां जाग्रत होती हैं।
माता कुष्मांडाः नवरात्रि के चौथे दिन आदिशक्ति के चौथे स्वरूप कुष्मांडा की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि मां के इस स्वरूप को मालपुआ प्रिय है, यह भोग माता को अर्पित करने से माता प्रसन्न होती हैं। इससे बुद्धि का विकास होता है। वहीं, माता कुष्मांडा को चमेली का पुष्प अर्पित करना चाहिए। इससे इंद्रियां जाग्रत होती हैं।
स्कंदमाताः नवरात्रि का पांचवां दिन माता आदिशक्ति के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा के लिए समर्पित है। माता का प्रिय भोग केला माना जाता है, इससे ऐसा फल मिलता है जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर हो। स्कंदमाता को पीले रंग का पुष्प अर्पित करना चाहिए। इससे भक्त का संतान से प्रेम संबंध मजबूत होता है।
माता कात्यायनीः नवरात्रि के छठें दिन माता आदिशक्ति के छठें स्वरूप कात्यायनी की पूजा की जाती है। माता का प्रिय भोग शहद माना जाता है। छठे दिन शहद अर्पित करने से भक्त की आकर्षण क्षमता बढ़ती है। माता कात्यायनी को गेंदे का फूल चढ़ाना चाहिए।
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मां कालरात्रिः नवरात्रि के सातवें दिन जगदंबा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस स्वरूप का प्रिय भोग गुड़ है। यदि माता को गुड़ का भोग लगाएं तो यह भक्त को संकटों से बचाती हैं, शोक से दूर रखती हैं। इनका प्रिय पुष्प कृष्ण कमल है, नीला कमल भी चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से माता कालरात्रि भक्त को बाधाओं से दूर रखती हैं।
मां कालरात्रिः नवरात्रि के सातवें दिन जगदंबा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस स्वरूप का प्रिय भोग गुड़ है। यदि माता को गुड़ का भोग लगाएं तो यह भक्त को संकटों से बचाती हैं, शोक से दूर रखती हैं। इनका प्रिय पुष्प कृष्ण कमल है, नीला कमल भी चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से माता कालरात्रि भक्त को बाधाओं से दूर रखती हैं।
महागौरीः आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। माता का प्रिय भोग नारियल माना जाता है। इस स्वरूप को छिले हुए नारियल का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से माता संतान सुख प्रदान करती हैं। माता का प्रिय पुष्प बेला है और जो भक्त माता को आठवें दिन बेला अर्पित करते हैं उन्हें माता धन, वैभव, ऐश्वर्य, सुख शांति प्रदान करती हैं।
माता सिद्धिदात्रीः नवरात्रि के नौवें दिन आदिशक्ति के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस स्वरूप का प्रिय भोग तिल है। इसलिए इस दिन पूजा में तिल से बने व्यंजन का भोग लगाना चाहिए, ऐसा करने से अकाल मृत्यु नहीं होती। वहीं माता का प्रिय पुष्प चंपा माना जाता है। मान्यता है कि माता सिद्धिदात्री को पूजा में चंपा अर्पित करने से वह भक्त को हर तरह का सुख देती हैं।