1. दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतुमयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
2. या देवी सर्व भूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। ये भी पढ़ेंः मां शैलपुत्री की ऐसे करें पूजा, इन मंत्रों से मां होंगी प्रसन्न
1. एक फूल हाथ में लेकर माता का ध्यान करें और दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतुमयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। मंत्र बोलना चाहिए।
2. इसके बाद माता को पंचामृत स्नान कराएं और फल-फूल, अक्षत, कुमकुम सिंदूर अर्पित करें। देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। कमल का फूल भी अर्पित करना चाहिए।
3. इसके बाद या देवी सर्व भूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। मंत्र का जाप करें।
4. अब देवी मां को प्रसाद अर्पित करें, आचमन कराएं। पान-सुपारी भेंट करें, अपनी जगह पर ही खड़े होकर तीन बार प्रदक्षिणा करें।
5. घी और कपूर मिलाकर आरती करें, पूजा में त्रुटि के लिए क्षमा मांगें और प्रसाद बांटें।
कथाः आदिशक्ति ने हिमालय के घर में अवतार लिया था और इस स्वरूप में नारदजी के उपदेश के प्रभाव से शंकरजी को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस स्वरूप में माता ने एक हजार वर्ष तक फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्ष तक जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। उपवास रखा और खुले आसमान के नीचे रहकर वर्षा और धूप को सहन किया।