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ये हैं मां दुर्गा के प्रसिद्ध शक्तिपीठ जहां नवरात्रि में उमड़ पड़ता है श्रद्धालुओं का हुजूम

प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक अंबाजी मंदिर गुजरात राजस्थान की सीमा पर स्थित है। करीबन 1200 साल पुराने इस मंदिर का निर्माण श्वेत संगमरमर से किया गया है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसका शिखर…

Apr 02, 2022 / 11:06 am

Tanya Paliwal

ये हैं मां दुर्गा के प्रसिद्ध शक्तिपीठ जहां नवरात्रि में उमड़ पड़ता है श्रद्धालुओं का हुजूम

भारतीय परंपरा में नवरात्र पर्व का महत्वपूर्ण स्थान होता है। नवरात्रि के 9 दिनों तक घरों और मंदिरों में जोरों शोरों से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान मंदिरों की मनमोहक सजावट देखते ही बनती है। साथ ही माता रानी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की खासी भीड़ होती है। यूं तो नवरात्र में दुर्गा माता के हर मंदिर में लोगों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन मां अंबे के कुछ खास शक्तिपीठ हैं जिनमें नवरात्रि में तो भक्तजनों का हुजूम उमड़ पड़ता है। जानकारी के लिए बता दें कि शक्तिपीठ उन स्थानों को कहा जाता है जहां भगवान विष्णु के चक्र से कटकर माता सती के अंग गिरे थे। तो अब आइए जानते हैं इस सूची में कौन-कौन से मंदिर शामिल हैं…

1. करणी माता मंदिर
यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है। बीकानेर से करीबन 30 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में गांव देशनोक की सीमा पर स्थित इस मंदिर में करणी माता की मूर्ति विराजमान है। इसके अलावा दुनियाभर में लोग इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जानते हैं।

 

2. श्रीसंगी कलिका मंदिर
श्रीसंगी कलिका मंदिर कर्नाटक के बेलगाम में स्थित है। इस मंदिर में मां दुर्गा के काली रूप की पूजा करने का विधान है और यह कर्नाटक का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है।

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3. कामाख्या शक्तिपीठ
असम के गुवाहाटी की पश्चिम दिशा में 8 किलोमीटर की दूरी पर नीलांचल पर्वत पर स्थित यह शक्तिपीठ मां दुर्गा के सभी शक्तिपीठों में से सर्वोत्तम माना जाता है। मान्यता है कि कामाख्या शक्तिपीठ की उत्पत्ति माता सती के योनि भाग से हुई थी।

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4. नैना देवी मंदिर
नैना देवी मंदिर नैनीताल में है। यह मंदिर नैनी झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है। नैना देवी मंदिर में दो नेत्रों के रूप में देवी मां के शक्ति रूप की पूजा की जाती है।

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5. दक्षिणेश्वर काली मंदिर
कोलकाता के प्रसिद्ध और मान्य मंदिरों में से एक दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण सन 1847 में जान बाजार की महारानी रासमणि ने प्रारंभ करवाया था क्योंकि मां काली ने उन्हें सपने में मंदिर निर्माण का निर्देश दिया था। 25 एकड़ के क्षेत्र में फैले हुए इस भव्य मंदिर का निर्माण सन 1855 तक पूरा हुआ था।

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6. दुर्गा मंदिर
दुर्गा मंदिर वाराणसी के रामनगर में स्थित है। इस मंदिर को वास्तुकला का एक बहुत सुंदर उदाहरण माना गया है। दुर्गा मंदिर में इमारतों के रंग के साथ ही देवी के वस्त्र भी गेरू रंग के ही हैं। मान्यता है कि देवी के इस मंदिर में स्‍थापित मूर्ति मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं है, बल्कि यह यहां स्‍वयं प्रकट हुई थी। नवरात्रि के अतिरिक्त अन्य त्योहारों पर भी यहां भक्तजनों का तांता लगा रहता है।

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7. दंतेश्‍वरी मंदिर
देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक दंतेश्वरी मंदिर छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में स्थित है। इसे दन्तेवाड़ा का प्रसिद्ध माना जाता है। सुंदर वादियों के बीच स्थित इस मंदिर का नाम दंतेश्वरी इसलिए पड़ा क्योंकि यहां माता सती का दांत यहां गिरा था।

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8. ज्वाला देवी मंदिर
यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा हुआ है। शास्त्रों में माना गया है कि ज्वाला देवी मंदिर का निर्माण माता सती की जिह्वा यहां गिरने से हुआ था।

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9. श्री महालक्ष्मी मंदिर
श्री महालक्ष्मी मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है। भक्तजनों की हर मनोकामना पूरी करने वाले इस मंदिर का नाम भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी के नाम पर पड़ा है।

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10. अम्‍बाजी मंदिर
प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक अंबाजी मंदिर गुजरात राजस्थान की सीमा पर स्थित है। करीबन 1200 साल पुराने इस मंदिर का निर्माण श्वेत संगमरमर से किया गया है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसका शिखर 103 फुट ऊंचा और इस शिखर पर 358 सोने के कलश सुसज्जित हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर के गर्भ गृह में माता रानी को प्रतिमा रूप में नहीं बल्कि एक श्रीयंत्र के रूप में पूजा जाता है। मां अम्बा-भवानी के शक्तिपीठों में से एक इस मंदिर का वातावरण नवरात्र में बहुत शक्तिमय रहता है।

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