ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में स्थित है तो यह योग व्यक्ति को बहुत मेहनती और पराक्रमी बनाता है। ऐसे लोग हर परिस्थिति में परिश्रम करके आगे बढ़ते हैं।
शनि व शुक्र की युति चतुर्थ भाव में होने पर ऐसे व्यक्ति को महिलाओं और दोस्तों से धन प्राप्ति होती है। वहीं अगर शनि व शुक्र की युति दशम भाव में हो तो व्यक्ति वैभवशाली होता है।
अगर शनि ग्रह मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि का होकर कुंडली में विराजमान है तो ऐसे जातक किसी खास विषय में महारत हासिल करते हैं।
ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक यदि शनि की दृष्टि चंद्र ग्रह पर हो और दोनों एक साथ एक ही लग्न में मौजूद हों तो ऐसी कुंडली वाले लोग महान तपस्वी तथा धर्म प्रचारक बनते हैं।