आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2021 की इस बार शुरुआत रवि पुष्य योग के साथ हुई है और वहीं रविवार, 18 जुलाई को नवमी पर अबूझ मुहूर्त भड़ली है, जिस कारण इसे भडल्या या कंदर्प नवमी भी कहा जाता है। वहीं कुछ जानकारों के अनुसार इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा गया है,ऐसे में ये दिन विवाह आदि किसी भी मांगलिक कार्य के बहुत शुभ माना जाता है।
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वहीं आज यानि शनिवार के दिन मां महागौरी की पूजा की जाएगी। वहीं दुर्गाष्टमी का यह दिन धन के लिहाज से बहुत अहम होगा। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार शनिवार के दिन दुर्गाष्टमी को एक खास योग बन रहा है, ऐसे में दुर्गाष्टमी पर दुर्गाजी के अलावा शाम को मां काली व लक्ष्मीजी की भी पूजा जरूर करें। दुर्गाष्टमी के बाद 18 जुलाई को नवमी तिथि होगी। रविवार के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी और इसी के साथ नवरात्री पारण हो जाएगा।
वहीं जानकारों के अनुसार यूं तो गुप्त नवरात्र के कई उपाय है, वहीं यदि आप इस बार यानि 2021 के गुप्त नवरात्र से अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करना चाहते हैं तो इस नवमी पर यनि रविवार, 18 जुलाई को भोजपत्र पर केसर की स्याही से दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम लिखें। और फिर अष्टोत्तर शतनाम में लिखे देवी मां के 108 नामों का उच्चारण करते हुए हवन में आहुति दें।
हवन पूरा होने के बाद भोजपत्र चांदी में जड़वाकर ताबीज की तरह बनवा लें। फिर इसे अपने गले में धारण कर लें या फिर इसे चांदी की डिब्बी में सुरक्षित करके धन स्थान पर रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से धन की कभी भी कमी नहीं होती है साथ ही अपार धन की प्राप्ति की संभावना भी बढ़ जाती है।
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माता दुर्गा की आराधना के यूं तो अनेक अवसर व माध्यम है। लेकिन, नवरात्रि में मां भगवती की विशेष आराधना की जाती है। नवरात्रि में कोई कठिन व्रत रखकर माता की आराधना करता है तो कोई माता को प्रसन्न कर उनके आशीर्वाद की आकांक्षा लिए कठिन तांत्रिक साधनााएं करता है।
वहीं आम गृहस्थ इन नौ दिनों में व्रत रखते हैं और दुर्गाजी की पूजा पाठ करते हैं। नौ दिनों तक मंत्र जाप भी किए जाते हैं। दुर्गाजी की साधना में नवार्ण मंत्र का जाप किया जाता है। नवार्ण मंत्र – ऊं ऐं ह्री क्लीं चामुंडाय विच्चै का इन नौ दिनों में जितना ज्यादा जाप किया जाता है, मान्यता है कि उतना ही अधिक लाभ होता है। इस मंत्र के प्रभाव से जीवन की सभी दुश्वारियां खत्म हो जाती हैं और सर्वसुख प्राप्त होते हैं।
दुर्गासप्तशती का पाठ अतिमहत्वपूर्ण
नवरात्रों में दुर्गासप्तशती का भी बेहद महत्व है। शास्त्रों के अनुसार दुर्गासप्तसती का पाठ सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला है। वहीं दुर्गाष्टमी पर धनलाभ के लिए एक अचूक प्रयोग किया जाता है। धन लाभ के लिए यह उपाय अष्टमी के दिन शाम को करें।
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पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इसके तहत शाम को स्नान करने के बाद पीले आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। दुर्गा प्रतिमा या विग्रह की विधिविधान से पूजा करे और तेल के 9 दीपक जलाएंं। दीपक के सामने लाल चावल की ढेरी पर श्रीयंत्र रखें और कुमकुम लगाकर फूल, धूप तथा दीप से विधिपूर्वक पूजन करें।
फिर किसी स्वच्छ प्लेट पर स्वस्तिक बनाकर उसका पूजन करें। नवार्ण मंत्र का कम से कम एक माला जाप करें और फिर श्रीयंत्र को अपने पूजा स्थल पर स्थापित कर लें। ये ध्यान रहे कि जो नौ दीपक जलाए गए हैं वे साधनाकाल तक बुझने नहीं चाहिए। पूजा की शेष सामग्री को बहते हुए पानी में विसर्जित कर दें।
चालीस दिनों तक श्रीसुक्त
श्रीयंत्र के समक्ष रोज लगातार चालीस दिनों तक श्रीसुक्त की शुरुआती सोलह ऋचाओं का पाठ करें। माना जाता है कि करीब डेढ़ माह बाद इस प्रयोग का असर दिखाई देता है। जिसके तहत इस प्रयोग से अचानक धन लाभ होने के योग बनते हैं। ऐसे में कहीं से भी बड़ी मात्रा में धन प्राप्त हो सकता है।