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Anant Chaturdashi 2022: कब है अनंत चतुर्दशी? सौभाग्य और ऐश्वर्य प्रदान करने वाले इस व्रत में अवश्य पढ़ें ये कथा

Anant Chaturdashi 2022 Vrat Katha: हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी पड़ती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करके उन्हें सभी संकटों से रक्षा करने वाला अनंतसूत्र बांधा जाता है।

Aug 17, 2022 / 10:46 am

Tanya Paliwal

Anant Chaturdashi 2022: कब है अनंत चतुर्दशी? सौभाग्य और ऐश्वर्य प्रदान करने वाले इस व्रत में अवश्य पढ़ें ये कथा

Anant Chaturdashi 2022 Date: हिन्दू धर्म में अनंत चतुर्दशी महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह व्रत आता है। इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करके उन्हें सभी संकटों से रक्षा करने वाला अनंतसूत्र बांधा जाता है। साथ ही इसी दिन गणपति महोत्सव का समापन होता है।

इस साल 9 सितंबर 2022 को अनंत चतुर्दशी पड़ रही है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है और अनंत चतुर्दशी की कथा पढ़ता या सुनता है उसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से सौभाग्य और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है…

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार एक सुमंत नामक ब्राह्मण था। उसका विवाह महर्षि भृगु की पुत्री दीक्षा से हुआ था। जब सुमंत और दीक्षा की पुत्री हुई तो उन्होंने उसका नाम सुशीला रखा। परंतु सुमंत की पत्नी दीक्षा की असमय मृत्यु होने पर ब्राह्मण ने एक कर्कशा नाम की कन्या से शादी कर ली। फिर सुशीला का विवाह कौण्डिन्य मुनि से हो गया। कर्कशा के अत्यंत क्रोधी स्वभाव और बुरे कर्मों के कारण सुशीला बहुत निर्धन हो गई।

फिर एक दिन जब सुशीला अपने पति के साथ कहीं जा रही थी तो मार्ग में उन दोनों को कुछ महिलाएं एक नदी पर व्रत करते हुए दिखीं। सुशीला ने पास जाकर जब उन महिलाओं से पास जाकर पूछा तो पता चला कि वे स्त्रियां अनंत चतुर्दशी का व्रत कर रही थीं। महिलाओं को विधिपूर्वक व्रत करते देख सुशीला ने भी भगवान को अनंतसूत्र बांध दिया। तब भगवान अनंत की कृपा से उन दोनों पति-पत्नी के सभी कष्ट दूर हो गए और उनके जीवन में खुशियां भर गईं।

लेकिन एक बार क्रोध में आकर सुशीला के पति कौण्डिन्य मुनि ने उस अनंतसूत्र को तोड़ दिया जिससे भगवान के रुष्ट हो गए। इस कारण फिर से सुशीला और उसके पति के जीवन में कष्टों का अंबार लग गया। तब सुशीला ने भगवान से क्षमा मांगी कि वह उसके जीवन के सभी कष्टों को समाप्त कर दें। तब अनंत देव सुशीला के विनय को सुनकर प्रसन्न हुए और फिर से अपनी कृपा उन पर बरसाई। मान्यता है कि तभी से यह व्रत रखा जाता है और इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा कर अनंतसूत्र बांधने से ईश्वर की कृपा से जीवन में सभी कष्ट दूर होकर सुख-समृद्धि का वास होता है।

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