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Anant Chaturdashi 2022: अनंत चतुर्दशी कल, नोट कर लें व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा का विधान है। इसे अनंत चौदस भी कहते हैं। आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

Sep 08, 2022 / 11:58 am

Tanya Paliwal

Anant Chaturdashi 2022: अनंत चतुर्दशी कल, नोट कर लें व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Anant Chaturdashi 2022 Shubh Muhurat: हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान विष्णु को सृष्टि का संचालक कहा गया है। मान्यता है कि विष्णु जी की पूजा और आराधना से जीवन सहज हो जाता है। वहीं विष्णु जी को समर्पित व्रतों में से एक अनंत चतुर्दशी का व्रत बहुत फलदायी माना गया है। भाद्रपास मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इसे अनंत चौदस भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इसी दिन गणेशोत्सव का समापन होता है और गणेश विसर्जन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि जो कोई अनंत चतुर्दशी व्रत रखकर भगवान विष्णु का विधिवत पूजन करता है उसके जीवन की सभी बाधाओं का नाश होता है और जीवन में शुभता आती है। इस दिन भगवान विष्णु को पूजा के समय चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र बांधा जाता है। तो आइए जानते हैं अनंत फल देने वाले इस व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व…

अनंत चतुर्दशी 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ गुरुवार, 8 सितंबर 2022 को शाम 4:30 बजे से होगा और शुक्रवार, 9 सितंबर 2022 को दोपहर 1:30 बजे पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी।

अनंत चतुर्दशी 2022 पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष अनुसार अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 9 सितंबर 2022, शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन दोपहर के समय भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। व्रत वाले दिन सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थल की साफ-सफाई करके भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर पर पूजा स्थल में कलश की स्थापना करें। इस कलश के ऊपर धातु का एक पात्र रखें और उसमें कुश से भगवान अनंत की स्थापना करें।

फिर रक्षासूत्र तैयार करने के लिए एक सूत के धागे को हल्दी तथा केसर से रंगकर उसमें 14 गांठे लगाएं। इसके पश्चात हल्दी, अक्षत, फूल, फल, नेवैद्य, पंचोपचार आदि से भगवान की पूजा करें और भोग लगाएं। फिर विष्णु जी को रक्षासूत्र अर्पित करें। पूजन के बाद अनंत चतुर्दशी व्रत की कथा अवश्य पढ़ें या सुनें। पूजा के बाद इस अनंत सूत्र को अपनी बाजू में बांध लें। शास्त्रों के अनुसार पुरुषों को यह अनंत सूत्र अपने दाएं हाथ में और महिलाओं को अपने बाएं हाथ में बांधना चाहिए। इस दिन पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने से शुभ फलों में वृद्धि होती है। इसके बाद व्रत के पारण के समय खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।

अनंत चतुर्दशी का महत्व: शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने और विष्णु जी के विधिवत पूजन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही मान्यता है कि 14 गांठों वाला अनंत या रक्षासूत्र हाथों में बांधने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा अनंत पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

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