दूसरा मूलमंत्र
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को अपनी क्षमताओं का अंदाजा होना बहुत जरूरी है। यदि आपको अपनी क्षमता के बारे में पता होगा तो आप उस काम को और बेहतर तरीके से कर पाने में सफल होंगे और कुशलता विकसित होने से आप अपने लक्ष्य को भी जल्दी प्राप्त कर लेंगे।
तीसरा मूलमंत्र
आचार्य चाणक्य के अनुसार सफलता का तीसरा मूल मंत्र यह है कि आपको अपने शुभचिंतकों और विरोधियों का पता होना चाहिए। जहां आपके शुभचिंतक आपको आपकी मंजिल तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं वहीं विरोधी रोड़े लगाने से पीछे नहीं हटते। इसलिए जो व्यक्ति इन दोनों में अंतर जान लेता है वह हर मुश्किल को पार कर लेता है।
चौथा मूलमंत्र
जीवन में सफल होने के लिए चौथा मूल मंत्र यह है कि आपको इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि आपके रहने के लिए कौन सी जगह उचित है। यानी कहां आपको सुख-सुविधाएं और रोजगार के भरपूर अवसर प्राप्त हो पाएंगे।
पांचवा मूलमंत्र
आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य को अपनी वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखकर फैसले लेना आना चाहिए। क्योंकि जो व्यक्ति अपनी परिस्थिति को पहचान कर निर्णय लेता है उसकी सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)