पं. शिवम का कहना है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: पूरी हो जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि सर्वदेवात्मको रुद्र:, सर्वे देवा: शिवात्मका: यानी सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं। हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री का वर्णन है। साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से और अलग-अलग मनोकामना के लिए करते हैं।
पं. शिवम के अनुसार धार्मिक ग्रंथों में किसी खास मनोकामना की पूर्ति के लिए उसके अनुसार पूजन सामग्री और अलग विधि से रुद्राभिषेक का विधान है। पं. शिवम के अनुसार रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-
• जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों, बाधा दोष और ऐसी बीमारी जो पकड़ में नहीं आ रही है, उससे राहत के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य और विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• ज्वर से राहत के लिए शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• मान्यता है कि शहद द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर होती है। लक्ष्मी प्रप्ति होती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।