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गुप्त नवरात्र 2022 : तंत्र साधना के विशेष महत्व के बीच जानें भारत के उन तीर्थ स्थलों को, जो कहलाते हैं तंत्र साधकों के मंदिर

Gupt Navratri 2022 : गुप्त नवरात्रि में की जातीं हैं तंत्र साधनाएं

Jan 30, 2022 / 01:28 pm

दीपेश तिवारी

Gupt navratri and tantra Sadhana

Gupt navratri and tantra Sadhana

Gupt Navratri 2022 : इस बार बुधवार, 02 फरवरी से 2022 यानि हिंदी संवत्सर 2078 (अंग्रेजी साल 2022) के माघ माह की गुप्त नवरात्रि शुरु हो जाएंगी। इन नवरात्रों में तंत्र साधना का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में आज हम आपको भारत के उन तीर्थ स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो तंत्र साधकों के मंदिर के रूप में जाने जाते हैं—

जानकारों के अनुसार दरअसल भारत की प्राचीन विद्याओं से तंत्र साधना का संबंध है। यह विद्या जितनी कारगर पहले ही थी आज भी उतनी ही कारगर साबित हो सकती है, लेकिन जिससे भी आप यह क्रिया करवा रहे हों उसे या स्वयं कर रहे हो तब भी इसकी पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है।

ऐसे समझें तेंत्र क्रियाएं:
जानकारों के अनुसार आज के दौर में सात्विक क्रियाएं ज्यादा सफल नहीं हो पाती, इसका कारण ये है कि सात्विक क्रियाओं की सफलता के लिए क्रिया करवाने वाले और क्रिया करने वाले, दोनों का ही पूर्ण रूप से मन-वचन-कर्म से सात्विक होना आवश्यक है। जो की मुमकिन नहीं है।

इसी कारण आज के दौर में तंत्र साधनाओं का ही अधिक सहारा लिया जाता है, क्योंकि ये कम समय में ज्यादा प्रभाव देने वाली होती है। तो चलिए आज हम जानते हैं भारत के कुछ विशेष मंदिर जहां तंत्र साधनाएं की जाती हैं।

 

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Gupt navratri 2022

1. कामाख्या मंदिर :

तांत्रिकों का गढ़ माने जाने वाला कामाख्या मंदिर असम में मौजूद है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहीं देवी मां सती का योनि भाग आकर गिरा था। इस मंदिर को प्रख्यात तांत्रिक पीठ भी माना गया है।

2. काल भैरव मंदिर :
तंत्र साधनाओं के लिए उज्जैन का काल भैरव मंदिर उपयुक्त स्थान माना जाता है। यहां भैरव की श्याम मूर्ति है। यहां सिद्धियां प्राप्त करने देशभर से तांत्रिक आते हैं।

3. कालीघाट मंदिर:
तंत्र साधकों का तीर्थस्थल पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकता का कालीघाट मंदिर, माना जाता है। मान्यता के अनुसार यहां माता सती की अंगुलियां गिरी थी। यहां साल भर तांत्रिकों का आना जाना लगा ही रहता है।

4. बैजनाथ मंदिर :
हिमाचल प्रदेश में मौजूद बैजनाथ मंदिर भी तंत्र साधना के लिए एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर तांत्रिक क्रियाओं के अलावा यहां के पानी के लिए भी प्रख्यात है। मान्यता के अनुसार यहां का पानी पाचन क्रिया के लिए बहुत फायदेमंद है।

 

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5. ज्वालादेवी मंदिर :
ज्वालादेवी मंदिर भारत के उत्तर में मौजूद हिमाचल प्रदेश में है। यह मंदिर पौराणिक काल से जलती आ रही ज्वाला के अलावा तंत्र साधनाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां मौजूद एक कुंड दूर से तो खौलता हुआ नजर आता है, लेकिन उसमें हाथ डालने पर वहां स्थित पानी एकदम ठंडा है।

6. वेताल मंदिर:
उडिसा में मौजूद वेताल मंदिर इस श्रेणी में प्रथम स्थान पाता है। यह आठवीं शताब्दी में बनाया गया था और इसमें मां काली के ही एक रूप बलशाली चामुंडा की मूर्ति भी है। इस मंदिर में निरंतर तांत्रिक क्रियाएं चलती रहती है।

7. खजुराहो का मंदिर :
अपनी कलात्मक रचना और कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध खजुराहो का मंदिर मध्यप्रदेश में मौजूद है। लेकिन काफी कम लोगों को ही इस बात की जानकारी है कि यहां तांत्रिक गतिविधियां भी होती है।

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