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दो बेहद शुभ योग में मनेगी कार्तिक पूर्णिमा, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना से मिलेगा विशेष आशीर्वाद, जानें शुभ मुहूर्त

artik Purnima: कार्तिक मास का समापन इस बार 27 नवंबर को होगा। सोमवार होने के कारण कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और शिव योग का भी संयोग बन रहा है। इस दिन सोम कार्तिक दर्शन और पूजा अर्चना से भगवान विष्णु और शिव का विशेष आशीर्वाद मिलेगा..आइये जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा के योग, शुभ मुहूर्त और महत्व

Nov 25, 2023 / 03:06 pm

Pravin Pandey

कार्तिक पूर्णिमा महत्व 2023

धर्म शास्त्रीय मत के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा अर्थात कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा सालभर में आने वाली 12 पूर्णिमाओं में विशेष महत्त्व रखती है। उसके अलग-अलग कारण है। विशिष्ट कारण यह है कि यह पूर्णिमा भगवान महाविष्णु के प्रबोधन के पांचवें दिन आती है। इसी पूर्णिमा से ऋतु काल का विशिष्ट परिवर्तन सृष्टि में नई सृजन की स्थिति को तैयार करता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि इस बार सोमवार को कृतिका नक्षत्र में आरंभ तथा चंद्र दर्शन रोहिणी नक्षत्र में होने से इसकी संज्ञा महापुण्य और महाकार्तिकी नाम से जानी जाती है। धर्म सिंधु के अनुसार इन दो नक्षत्रों अर्थात जब कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर सूर्योदय काल में कृति का नक्षत्र हो और चंद्र की साक्षी में रोहिणी नक्षत्र हो तो वह पूर्णिमा परम पुण्यमयी तथा विशिष्ट योग की मानी जाती है। भगवान विष्णु और शिव का पूजन करने से सौभाग्य में वृद्धि एवं धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
दीपदान का बड़ा महत्त्व
ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला (त्रिवेदी) के अनुसार कार्तिक मास का संपूर्ण माह दीपदान या उल्का रोशन के क्रम को दर्शाने वाला बताया गया है। धर्मशास्त्र व निर्णय सिंधु, विष्णु पुराण के अनुसार देखें तो मास परंपरा में दीपदान के अंतर्गत कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ दीपदान के लिए बताया जाता है, क्योंकि यह तुला संक्रांति वाला माना जाता है और तुला संक्रांति पितरों के गोचर का अंतिम क्रम होता है। अर्थात वर्ष में एक बार सिंह संक्रांति से लेकर तुला संक्रांति तक अर्थात सिंह कन्या तुला संक्रांति के सूर्य के परिभ्रमण तक पितरों का वास पृथ्वी पर माना जाता है। उनके निमित्त दीपदान करना या उल्का दान करने का बड़ा महत्त्व धर्मशास्त्र में बताया गया है।
कब है कार्तिक पूर्णिमा
पंडित जगदीश शर्मा ने बताया कि कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 26 नवंबर को दोपहर 3.53 बजे से होगा और 27 नवंबर को दोपहर 2.45 बजे समापन होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन धर्म-कर्म के कार्यों से दोगुना शुभ फल मिलता हैं।
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कार्तिक पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्तः 27 नवंबर को सुबह 5:05 से 5:59 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्तः 27 नवंबर को दोपहर 11:47 से दोपहर 12:30 बजे तक
कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष योग में स्नान दान
कार्तिक पूर्णिमा के लिए भोपाल के बांके बिहारी मंदिर में एक माह से चल रहे उत्सव का समापन होगा, वहीं श्रीजी मंदिर, गुफा मंदिर और बड़बाले महादेव मंदिर में विशेष तैयारियां की जा रही हैं। इस दिन दीपदान और स्नान दान का भी विशेष महत्व होता है। लोग तीर्थ स्थलों और सरोवरों में दीप दान करेंगे। पंडित जगदीश शर्मा ने बताया कि कृतिका नक्षत्र और शिवयोग की युति में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान होगा। पूर्णिमा पर बन रहा यह संयोग ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सुखद और शुभफलदायी होगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष लाभप्रद होगी।

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