ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला (त्रिवेदी) के अनुसार कार्तिक मास का संपूर्ण माह दीपदान या उल्का रोशन के क्रम को दर्शाने वाला बताया गया है। धर्मशास्त्र व निर्णय सिंधु, विष्णु पुराण के अनुसार देखें तो मास परंपरा में दीपदान के अंतर्गत कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ दीपदान के लिए बताया जाता है, क्योंकि यह तुला संक्रांति वाला माना जाता है और तुला संक्रांति पितरों के गोचर का अंतिम क्रम होता है। अर्थात वर्ष में एक बार सिंह संक्रांति से लेकर तुला संक्रांति तक अर्थात सिंह कन्या तुला संक्रांति के सूर्य के परिभ्रमण तक पितरों का वास पृथ्वी पर माना जाता है। उनके निमित्त दीपदान करना या उल्का दान करने का बड़ा महत्त्व धर्मशास्त्र में बताया गया है।
पंडित जगदीश शर्मा ने बताया कि कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 26 नवंबर को दोपहर 3.53 बजे से होगा और 27 नवंबर को दोपहर 2.45 बजे समापन होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन धर्म-कर्म के कार्यों से दोगुना शुभ फल मिलता हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्तः 27 नवंबर को सुबह 5:05 से 5:59 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्तः 27 नवंबर को दोपहर 11:47 से दोपहर 12:30 बजे तक
कार्तिक पूर्णिमा के लिए भोपाल के बांके बिहारी मंदिर में एक माह से चल रहे उत्सव का समापन होगा, वहीं श्रीजी मंदिर, गुफा मंदिर और बड़बाले महादेव मंदिर में विशेष तैयारियां की जा रही हैं। इस दिन दीपदान और स्नान दान का भी विशेष महत्व होता है। लोग तीर्थ स्थलों और सरोवरों में दीप दान करेंगे। पंडित जगदीश शर्मा ने बताया कि कृतिका नक्षत्र और शिवयोग की युति में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान होगा। पूर्णिमा पर बन रहा यह संयोग ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सुखद और शुभफलदायी होगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष लाभप्रद होगी।