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गाड़ी, बंगला चाहिए तो जरूर पढ़ें विष्णुजी का यह सरल स्तोत्र

सनातन धर्म में यूं तो सभी दिनों का अपना महत्व है लेकिन गुरुवार का दिन बहुत विशेष है। गुरुवार नवग्रहों के गुरु बृहस्पति देव का दिन है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को सभी सुखों का कारक माना जाता है। घर-वाहन आदि का सुख बृहस्पति देव की ही कृपा से प्राप्त होता है।

Nov 29, 2023 / 01:44 pm

deepak deewan

गुरुवार नवग्रहों के गुरु बृहस्पति देव का दिन

सनातन धर्म में यूं तो सभी दिनों का अपना महत्व है लेकिन गुरुवार का दिन बहुत विशेष है। गुरुवार नवग्रहों के गुरु बृहस्पति देव का दिन है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को सभी सुखों का कारक माना जाता है। घर-वाहन आदि का सुख बृहस्पति देव की ही कृपा से प्राप्त होता है।

बृहस्पति देव विष्णुजी की पूजा से प्रसन्न होते हैं इसलिए गुरुवार के दिन विष्णु पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। विष्णुजी सभी भौतिक सुख प्रदान करते हैं। घर—वाहन का सुख बिना उनके आशीर्वाद के नहीं मिल सकता। इसके लिए पूर्ण मनोयोग से उनकी पूजा कर विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें।

बृहस्पति देव शिव पूजा से भी प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी भक्त गुरुवार को सच्चे मन से भगवान नारायण का पूजन व उपवास करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दिन सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित कर विष्णु भगवान की पूजा करना चाहिए। जल्द शुभ फल प्राप्त करने के लिए विष्णुजी की पूजा पूर्ण विधि विधान से करना चाहिए।

गुरुवार को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। तांबे के लोटे में जल भरकर भगवान सूर्य को अर्पित करें। सूर्य को जल चढाते समय गायत्री मंत्र का स्मरण करें।

इसके बाद घर के पूजास्थल पर घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव का ध्यान करें। विष्णुजी का ध्यान करें और उनकी प्रसन्नता के लिए दिनभर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें। भगवान विष्णु को तुलसी भी अर्पित करें।

विष्णुजी सभी भौतिक सुख प्रदान करते हैं। घर—वाहन का सुख बिना उनके आशीर्वाद के नहीं मिल सकता, इसलिए पूर्ण मनोयोग से उनकी पूजा करें। गुरुवार को विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ जरूर करें और उनकी आरती उतारकर अपनी इच्छा पूर्ण करने की प्रार्थना करें।

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से जीवन सुखी होता है। शुक्ल पक्ष के गुरुवार से विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ शुरु करें और 40 दिनों तक नियमित पाठ करें। आपके दुख—कष्ट हम होंगे और दुनिया के सभी सुख प्राप्त होने लगेंगे।

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