गर्भजून गुफा का रहस्य
पौराणिक कथा के अनुसार, जम्मू जिले के कटरा नगर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक हंसाली नामक गांव में मां वैष्णो देवी के परम भक्त श्रीधर रहते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी जिस कारण वे बहुत दुखी रहते थे। एक बार नवरात्रि पूजन के दौरान उन्होंने कुंवारी कन्याओं को अपने यहां बुलाया। तब उन्हीं कन्याओं में से एक का वेश धारण करके मां वैष्णो भी श्रीधर के यहां आकर बैठ गईं। पूजन के पश्चात सभी कन्याएं चली गईं परंतु मां वैष्णो वहां रुककर श्रीधर से बोलीं कि, ‘तुम जाओ और सभी को अपने घर भोजन के लिए बुलावा दे आओ।’
इसके बाद श्रीधर कन्या की बात का मान रखते हुए आसपास के गांव में भोजन का बुलावा दे आया। सभी गांव वालों को निमंत्रण देने के बाद जब वह लौट रहा था तब उसने गुरु गोरखनाथ, उनके शिष्य भैरवनाथ और अन्य शिष्यों को भी भोजन का निमंत्रण दिया। भोजन के निमंत्रण की बात सुनकर सभी गांववासी आश्चर्यचकित थे कि ऐसी कौन सी कन्या है जो पूरे गांव को भोजन करवाना चाहती है!
इसके बाद सभी श्रीधर के घर खाने के लिए आए। फिर कन्या रूप में मां वैष्णो सभी को एक अलग तरह के पात्र में से भोजन परोसने लगीं। जब वह भैरवनाथ के पास पहुंची तो उन्होंने खीर पूरी खाने से इनकार कर दिया और मांस, मदिरापान की इच्छा जताई। तब कन्या ने उसकी यह बात नहीं मानी। लेकिन भैरवनाथ अपनी बात पर अडिग रहा। इसके बाद भैरवनाथ के मन में छिपे कपट को जानकर मां वैष्णो रूप बदलकर त्रिकुट पर्वत की तरफ चली गईं।
त्रिकुट पर्वत पर जाकर वहां एक गुफा में ही मां वैष्णो ने भैरवनाथ से छिपकर 9 माह तक लगातार तपस्या की थी। इस गुफा को ही आज गर्भजून के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इस गुफा को आदिकुमारी या अर्धकुमारी भी कहते हैं। आज भी इस गर्भजून गुफा का उतना ही महत्व है जितना संपूर्ण भवन का।
9 महीने की तपस्या के बाद माता रानी जब गुफा से बाहर देवी रूप में आईं तो उन्होंने भैरवनाथ को चेतावनी देते हुए वापस लौट जाने को कहा। लेकिन फिर भी वो हठ पर अड़ा रहा। इसके बाद हठी भैरवनाथ को मां ने महाकाली के रूप में भैरवनाथ का संहार कर दिया। कहते हैं कि भैरवनाथ का कटा हुआ सिर त्रिकुट पर्वत की भैरव घाटी में गिरा। आज इस जगह को भैरवनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। वहीं वैष्णो देवी मां ने भैरवनाथ का संहार जिस स्थान पर किया था उसे भवन के नाम से जानते हैं।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)