एक दुसरे पौराणिक उल्लेख अनुसार देवी महालक्ष्मी “लक्ष्मी देवी नहीं” से जो उनका सत्व प्रधान रूप उत्पन्न हुआ, देवी का वही रूप ‘सरस्वती’ कहलाया। यह तो ज्ञात है कि देवी सरस्वती का वर्ण श्वेत है उनकी छवि बहुत सुंदर है।
ब्रह्मा जी के अनेक पुत्र और पुत्रियां थे। सरस्वती देवी को शतरूपा, वाग्देवी, वागेश्वरी, शारदा, वाणी और भारती भी कहा जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं सरस्वती उत्पत्ति की कथा जो की सरस्वती पुराण उल्लेखित है…
भारत वर्ष के दो ग्रंथों ‘सरस्वती पुराण’ और ‘मत्स्य पुराण’ में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का अपनी ही बेटी सरस्वती से विवाह करने का प्रसंग है जिसके फलस्वरूप इस धरती के प्रथम मानव ‘मनु’ का जन्म हुआ। सरस्वती पुराण के अनुसार सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा ने सीधे अपने वीर्य से सरस्वती को जन्म दिया था। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती की कोई मां नहीं केवल पिता, ब्रह्मा थे। स्वयं ब्रह्मा भी सरस्वती के आकर्षण से खुद को बचाकर नहीं रख पाए और उन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाने पर विचार करने लगे।
इस कारण माँ सरस्वती ने अपने पिता की इस मनोभावना को भांपकर उनसे बचने के लिए चरों दिशाओं में छिपने का प्रयत्न किया लेकिन उनका हर प्रयत्न निष्फल हुआ। इसलिए माना जाता है विवश होकर उन्हें अपने पिता के साथ विवाह करना पड़ा। सरस्वती पुराण के अनुसार ब्रह्मा और सरस्वती करीब 100 वर्षों तक एक जंगल में पति-पत्नी की तरह रहे। इन दोनों का एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम रखा गया था स्वयंभु मनु।
माँ सरस्वती उत्पत्ति कथा मत्स्य पुराण अनुसार…
मत्स्य पुराण में यह कथा थोड़ी सी भिन्न है। मत्स्य पुराण अनुसार ब्रह्मा के पांच सिर थे। कहा जाता है कालांतर में उनका पांचवां सिर काल भैरव ने काट डाला था। कहा जाता है जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो वह समस्त ब्रह्मांड में अकेले थे। ऐसे में उन्होंने अपने मुख से सरस्वती, सान्ध्य, ब्राह्मी को उत्पन्न किया। और ब्रह्मा अपनी ही बनाई हुई रचना, सरवस्ती के प्रति आकर्षित होने लगे और लगातार उन पर अपनी कू दृष्टि डाले रहे। ब्रह्मा की कू दृष्टि से बचने के लिए सरस्वती चारों दिशाओं में छिपती रहीं लेकिन वह उनसे नहीं बच पाईं। अंत में सरस्वती आकाश में जाकर छिप गईं, लेकिन अपने पांचवें सिर से ब्रह्मा ने उन्हें आकाश में भी खोज निकाला और उनसे सृष्टि की रचना में सहयोग करने का निवेदन किया। सरस्वती से विवाह करने के पश्चात सर्वप्रथम स्वयंभु मनु को जन्म दिया। इसी कारण ब्रह्मा और सरस्वती की यह संतान ‘मनु’ को पृथ्वी पर जन्म लेने वाला पहला मानव कहा जाता है।