दरअसल अब से करीब 5000 वर्ष पूर्व द्वापर काल में श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता की रचना की थी। श्रीमद्भगवद्गीता की रचना के बारे में कहा जाता है कि मोक्षदा शुक्ल एकादशी वाले दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान मैदान में ही उपदेश दिया था, जिसे श्रीमद्भगवद्गीता कहा गया। तभी से इस दिन को एक खास अहमियत दी गई, इसे पूरी दुनिया भर में गीता जयंती के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है। इसे दोहराने की कोई ज़रुरत नहीं है कि इतिहास का सबसे बड़े धर्मयुद्ध कहलाने वाला महाभारत आज भी चर्चा में रहता है। इस युद्ध में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जितने भी उपदेश दिए थे, आज भी काफी महत्व रखते हैं। महाभारत में जितना महत्व श्रीकृष्ण, पांडव और कौरवों का था उतना ही महत्व द्रौपदी का भी था। इसलिए ही हमने तय किया कि हम आपको आज रानी द्रौपदी के बारे में ही कुछ खास बातें बताएं जो आप शायद ही जानते होंगे।
माना जाता है कि रानी द्रौपदी ने शिवा से 14 गुण वाले पति की इच्छा ज़ाहिर की थी। लेकिन किसी एक व्यक्ति में सभी 14 गुण मिलना काफी मुश्किल था। इस स्थिती को देखते हुए भगवान शिव ने उन्हें 5 पुरुषों की पत्नी बनने का सौभाग्य दिया। दरअसल द्रौपदी को धर्म के साथ-साथ बल, तीरंदाजी, सौंदर्य और साथ ही धैर्य जैसे गुण से परिपूर्ण हों। और से सभी गुण सभी पांडवों में एक-एक करके थे।
इसके अलावा द्रौपदी के स्वयंवर में अर्जुन ने अपनी तीरंदाज़ी से उन्हें अपनी पत्नी बनाया था। कहा जाता है कि जब द्रौपदी को घर लेकर आया गया तो उन्होंने मां को आवाज़ लगाई। पांडवों की इस बात पर मां ने जवाब में कहा कि जो भी है उसे आपस में बांट लो। पांडव अपनी मां के प्रति बेहद आज्ञाकारी थे, जिसके परिणामस्वरुप द्रौपदी को पाडंवों की पत्नी बनना पड़ा था।