Swami Vivekananda Story 1 यह कहानी स्वामी विवेकानंद के बचपन की है। स्वामीजी बचपन से ही मेधावी थे, वे जब कुछ कहते, साथी मंत्रमुग्ध होकर सुनते। एक दिन कक्षा में वो कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे, सभी साथी इससे सुनने में मग्न हो गए। स्थिति ऐसी थी कि उन्हें पता ही नहीं चला कि शिक्षक कक्षा में आ गए और पढ़ाना शुरू कर दिया। इसी बीच कक्षा में फुसफुसाहट ने शिक्षक का ध्यान खींचा। उन्होंने कड़क आवाज में पूछा कि कौन बात कर रहा है? छात्रों ने स्वामीजी और उनके साथ बैठे छात्रों की तरफ इशारा कर दिया।
इससे नाराज शिक्षक ने उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबंधित प्रश्न पूछने लगे। स्वामी विवेकानंद के अलावा कहानी सुन रहा कोई बच्चा प्रश्न का जवाब नहीं दे पाया। इस पर शिक्षक को यकीन हो गया कि स्वामीजी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बातचीत में लगे थे। इस पर उन्होंने स्वामीजी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी। सभी छात्र एक-एक कर बेंच पर खड़े हुए तो उनके साथ स्वामीजी भी खड़े हो गए।
इस पर शिक्षक बोले– नरेंद्र तुम बैठ जाओ! यह सुनकर स्वामी विवेकानंद ने विनम्रता से खुद के लिए भी सजा के लिए आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सर, मैं ही इन छात्रों से बात कर रहा था। उनके सच बोलने की हिम्मत से प्रभावित हुए बिना कोई नहीं रह सका।
Swami Vivekananda Story 2 अमेरिका में स्वामी विवेकानंद से जुड़ी प्रेरक कहानी के अनुसार अमेरिका यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानंद एक पुल से गुजर रहे थे। रास्ते में उन्होंने कुछ लड़कों को निशाना लगाते देखा, लेकिन इनमें से कोई सही निशाना नहीं लगा पा रहा था। इस पर स्वामी विवेकानंद रूके और बंदूक संभाल ली। उन्होंने एक के बाद एक लगातार कई निशाने लगाए। इस पर लड़कों और अन्य लोगों ने पूछा कि आपने यह कैसे किया तो उन्होंने कहा, जो भी काम करो, अपनी पूरी एकाग्रता उसी में लगा दो। सफलता अवश्य मिलेगी।
Swami Vivekananda Prasang 3 स्वामी विवेकानंद से जुड़ा बनारस का प्रेरक प्रसंग भी आपको बताते हैं। एक बार बनारस में वह एक मंदिर से प्रसाद लेकर बाहर आ रहे थे तभी वहां रहने वाले बंदरों के समूह ने उन्हें घेर लिया। स्वामीजी जितना बंदरों से बचने के लिए इधर उधर जा रहे थे, बंदर उतना ही रास्ते में आकर उन्हें डरा रहे थे। तभी वहां एक बुजुर्ग संन्यासी पहुंचे, उन्होंने स्वामी विवेकानंद से कहा कि डरो मत, उनका सामना करो।
वृद्ध संन्यासी की बात सुनकर स्वामी विवेकानंद पलटे और बंदरों की तरफ जाने लगे। इस पर सारे बंदर भाग गए और वे पुन: निर्भय हो गए। इसका कई बार उन्होंने जिक्र किया है और युवाओं से कहते थे कि किसी समस्या से डरो मत, उसका सामना करो, उससे लड़ो।
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Swami Vivekananda Prasang 4 स्वामी विवेकानंद से जुड़े एक प्रेरक प्रसंग के अनुसारविदेश यात्रा के दौरान एक महिला ने उनसे कहा कि मैं आपसे विवाह कर आपके जैसा गौरवशाली, सुशील और तेजयुक्त पुत्र पाना चाहती हूं। इस पर विवेकानंद ने कहा कि मैं संन्यासी हूं और विवाह नहीं कर सकता लेकिन आप मुझे ही पुत्र मान लीजिए तो आपकी इच्छा भी पूरी हो जाएगी और मुझे मां का आशीर्वाद मिल जाएगा। उनके इस उत्तर को सुनते ही वह महिला उनके चरणों में गिर गई और माफी मांगने लगी।
Swami Vivekananda Prasang 4 स्वामी विवेकानंद से जुड़े एक प्रेरक प्रसंग के अनुसारविदेश यात्रा के दौरान एक महिला ने उनसे कहा कि मैं आपसे विवाह कर आपके जैसा गौरवशाली, सुशील और तेजयुक्त पुत्र पाना चाहती हूं। इस पर विवेकानंद ने कहा कि मैं संन्यासी हूं और विवाह नहीं कर सकता लेकिन आप मुझे ही पुत्र मान लीजिए तो आपकी इच्छा भी पूरी हो जाएगी और मुझे मां का आशीर्वाद मिल जाएगा। उनके इस उत्तर को सुनते ही वह महिला उनके चरणों में गिर गई और माफी मांगने लगी।
Swami Vivekananda Prasang 5 एक बार की बात है स्वामी विवेकानंद खेतड़ी (राजस्थान) पहुंचे तो वहां के राजा ने उनके मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा। इस कार्यक्रम में मैनाबाई नाम की एक नृत्यांगना ने नृत्य प्रस्तुत करना शुरू किया तो स्वामी विवेकानंद उठकर जाने लगे। तब नृत्यांगना ने सूरदास का भजन गाने लगे और तब वे वहीं रूके और मैनाबाई को मां नाम से सम्बोधित किया।