धर्म और अध्यात्म

धनु राशि में आए सूर्य, जानें खरमास का धार्मिक महत्व

16 दिसंबर से खरमास (धनुर्मास) शुरू हो गया है। इस महीने में सूर्य धनु राशि में गोचर करते हैं। इस समय मांगलिक कार्य करने पर रोक रहती है। इस दौरान भगवत प्राप्ति के अनुष्ठान और दान करना शुभ माना गया है। खरमास के देवता विष्णु जी हैं। पूजा-पाठ के लिए खरमास बहुत शुभ माना गया है। इसका समापन साल 2024 में 15 जनवरी को होगा। जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में गोचर करेंगे। आइये जानते हैं धनु राशि में सूर्य के आने का धार्मिक महत्व और खरमास का उपाय

Dec 16, 2023 / 07:54 pm

Pravin Pandey

खरमास का धार्मिक महत्व

क्या है धनुर्मास या खरमास
स्वामी नरहरि दास ने बताया कि साल भर में सूर्य बारह राशियों में परिभ्रमण करते हैं। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रांति कहा जाता है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर से पहले सूर्य का धनु राशि में प्रवेश होता है, जिसको सूर्य की धनु संक्रांति या धनुर्मास कहा जाता है। धनु संक्रांति सूर्य के दक्षिणायन का अंतिम भाग है। इसके अगले महीने सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसे उत्तरायण कहा जाता है। सूर्य के उत्तरायण के छह माह शुभ मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं।
तीर्थ यात्राओं का पांच गुना पुण्य
धनु संक्रांति के अंतर्गत धार्मिक यात्राओं का विशेष महत्त्व माना जाता है। इस दौरान नदी के तट पर पूजा और स्नान करने का भी अपना महत्त्व है। यह भी किसी कठिन साधना से कम नहीं माना गया है। धनुर्मास की संक्रांति के दौरान धार्मिक यात्रा करना अच्छा होता है। इस दौरान धार्मिक कार्य जिसके अंतर्गत जाप, भजन, दान आदि को पुण्य की वृद्धि वाला माना गया है। दान की बात करें, तो इस दौरान तिल और गुड़ आदि दान करना शुभ माना गया है। ऐसा करने से ईश्वर का आशीर्वाद बना रहता है। खुद को भी प्रसन्नता का अनुभव होता है। वास्तव में आध्यात्मिक रूप से खुद को संपन्न और उन्नत बनाता है यह माह।
आंखों के रोगों से मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नेत्रों का कारक व आत्मा का कारक सूर्य को बताया गया है। कृष्ण यजुर्वेदीय सिद्धांत के अनुसार इस दौरान सूर्य को उदय काल के समय जल अर्पित करने और नेत्र उपनिषद के पाठ से आंखों से संबंधित समस्याओं का निराकरण होता है। इसके साथ ही आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
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