धनु संक्रांति के अंतर्गत धार्मिक यात्राओं का विशेष महत्त्व माना जाता है। इस दौरान नदी के तट पर पूजा और स्नान करने का भी अपना महत्त्व है। यह भी किसी कठिन साधना से कम नहीं माना गया है। धनुर्मास की संक्रांति के दौरान धार्मिक यात्रा करना अच्छा होता है। इस दौरान धार्मिक कार्य जिसके अंतर्गत जाप, भजन, दान आदि को पुण्य की वृद्धि वाला माना गया है। दान की बात करें, तो इस दौरान तिल और गुड़ आदि दान करना शुभ माना गया है। ऐसा करने से ईश्वर का आशीर्वाद बना रहता है। खुद को भी प्रसन्नता का अनुभव होता है। वास्तव में आध्यात्मिक रूप से खुद को संपन्न और उन्नत बनाता है यह माह।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नेत्रों का कारक व आत्मा का कारक सूर्य को बताया गया है। कृष्ण यजुर्वेदीय सिद्धांत के अनुसार इस दौरान सूर्य को उदय काल के समय जल अर्पित करने और नेत्र उपनिषद के पाठ से आंखों से संबंधित समस्याओं का निराकरण होता है। इसके साथ ही आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।