धर्म के जानकारों के अनुसार इस बार श्राद्ध पक्ष 17 दिन चलेगा, जिसमें से 26 सितंबर को कोई श्राद्ध तिथि नहीं है, लेकिन जहां एक ओर पितृ पक्ष का बढ़ना शुभ नहीं माना जाता है, इसके कारण के पीछे ये मान्यता है कि इस समय यमराज अपना मुख खोलते हैं।
ऐसे में दिन की वृद्धि अशुभता की ओर इशारा करती है। वहीं नवरात्र को सुरक्षा कवच के रूप में भी जाना जाता है, और इसमें दिन कम होना आपकी सुरक्षा में कमी का प्रतीक भी मानी जाती है। ऐसे में इस बार ये दोनों स्थितियां आने से अशुुभता के संकेतों में वृद्धि होती दिख रही है।
2021 कम हुए और बढ़े दिनों को ऐसे समझें
ज्योतिष के जानकार एके शुक्ला के अनुसार 20 सितंबर, सोमवार को पूर्णिमा का श्राद्ध के बाद मंगलवार,सितंबर 21, को प्रतिपदा श्राद्ध (22 को द्वितीया,23 को तृतीया,24 को चतुर्थी)। वहीं शनिवार सितंबर 25 को पंचमी तिथि का श्राद्ध रविवार, सितंबर 26 की 01:04 PM तक रहेगा। वहीं 26 सितंबर को श्राद्ध की कोई तिथि नहीं है। इसके बाद लगातार श्राद्धों की तिथि के चलते 06 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन आखिरी श्राद्ध होगा।
वहीं दूसरी ओर शारदीय नवरात्र 2021 में चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन होने के चलते नवरात्र का एक दिन घट जाएगा।
ऐसे में शारदीय नवरात्रि की प्रारंभ गुरुवार, अक्टूबर 07 को मां शैलपुत्री की पूजा से शुरू होगा। इसके बाद शुक्रवार, अक्टूबर 08 को देवी के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी, फिर शनिवार, अक्टूबर 09 को देवी दुर्गा के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी।
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वहीं इसके बाद रविवार, अक्टूबर 10 को चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ने के चलते इस दिन देवी दुर्गा के चौथे व पांचवें रूप क्रमश: मां कुष्मांडा मां स्कंदमाता दोनों की पूजा होगी।
जबकि सोमवार नवरात्रि के पांचवे दिन यानि अक्टूबर 11 को षष्ठी तिथि, वहीं मंगलवार अक्टूबर 12 को नवरात्रि के छठे दिन सप्तमी तिथि और बुधवार अक्टूबर 13 को नवरात्रि के सातवें दिन अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाएगी।
इसके बाद नवरात्रि के आठवें दिन गुरुवार, अक्टूबर 14 को नवमी तिथि के चलते मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। वहीं शुक्रवार को अक्टूबर 15 को दशमी के दिन नवरात्रि व्रत का पारण किए जाने के अतिरिक्त दशहरा पर्व भी मनाया जाएगा।
ऐसे समझें चिंता का कारण?
इस संबंध में जानकारों का कहना है कि दरअसल हिंदू धर्मशास्त्रों साफ उल्लेख है कि संसार में नवरात्र से पहले रोग व महामारी फैलने की आशंका होती है।
इसका कारण ये माना जाता है कि इस समय यमराज अपना मुख खोलते हैं। वहीं इस दौरान यानि नवरात्र में मां भगवती का पूजा पाठ करने से देवी मां मानव के दुख हर लेती हैं। यानि जहां एक ओर पितृ पक्ष में यमराज अपना मुंह खोलते हैं, वहीं मां भगवती नवरात्र में हमें अपना सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं।
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धर्मशास्त्र व ज्योतिष के जानकार सीएस पाठक के अनुसार दरअसल कुछ हिंदू शास्त्रों के मुताबिक साल में यमराज दोनों नवरात्र बसंत और शरद के समय अपना मुख खोलते हैं।
उनके मुख खोलने से संसार में रोग, महामारी व निराशा का भाव व्याप्त हो जाता है। ऐसे में नवरात्र के समय मां भगवती की पूजा की जाती है और देवी मां से कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं।
माना जाता है कि इन नौ दिन पूजा-पाठ करने से देवी मां संसार में फैली महामारी, दुख-तकलीफ को दूर करती हैं। पाठक के अनुसार हिंदू धर्मग्रथों में अनेक विपदाओं का पहले से ही उल्लेख किया गया है।
पंडित शुक्ला के अनुसार ऐसे में इस समय उन दिनों में इजाफा होना जब यमराज अपना मुुंह खोलते हैं किसी भी स्थिति में उचित नहीं माना जा सकता। वहीं इसमें सबसे खास बात ये है कि यमराज के मुंह खोलने के पश्चात देवी मां हमें नवरात्र में की जाने वाली पूजा के तहत सुरक्षा यानि हर दुख का हरण करती हैं, ये सुरक्षा प्रदान करने वाले दिनों का कम हो जाना ऐसे स्थिति को ओर चिंता वाला बना देता है।
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ये हैं आशंकाएं?
1. माना जा रहा है चूकिं ज्योतिषशास्त्र के हिसाब से भी अक्टूबर में कोरोना की एक तेज लहर आने की संभावना है, जो 14 सितंबर को गुरु के मकर में परिवर्तन के साथ ही धीरे धीरे अपने कदम बढ़ा रही है। ऐसे में अंदेशा है कि चूंकि 7 अक्टूबर से नवरात्र शुरु हो जाएंगे,ऐसे में 1 से 7 अक्टूबर के बीच में ये लहर अपना भयावह रूप दिखा सकती है।
2. कुछ जानकारों के अनुसार यमराज द्वारा मुंह खोलने वाले दिनों में वृद्धि ज्यादा जनहानि की ओर संकेत देती है।
3. वहीं यमराज के खुले मुंख सहित अन्य परेशानियों से सुरक्षा देने वाली देवी की पूजा के दिनों में कमी आना हमारी सुरक्षा में कमी का संकेत होता है।
4. वहीं कुछ लोगों का ये भी मानना है कि इस समय किसी त्रासदी की संभावना है, या कुछ ऐसा संभव है जिसके कारण कई लोग अपना जीवन खो सकते हैं। लेकिन ये सारी स्थिति सम्पूर्ण पृथवी के लिए है। केवल किसी एक देश के लिए नहीं।
5. वहीं इसके अलावा माता रानी इस बार डोली पर सवार होकर आएंगी, ये स्थिति भी कई मायनों में शुभ नहीं मानी जाती। कहा जताा है कि जब कभी माता का आगमन डोली पर होता है,तो लोगों को कुकई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें मुख्य रूप से संक्रामक रोगों के फैलने के अलावा राजनीतिक रूप से भी कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।