रुद्रावतार हनुमान को प्रिय है सिंदूरः हिंदू धर्म में अवतार की धारणा है और हर अवतार में ईश्वर ने अलग कार्य के लिए अपने लिए अलग मर्यादा तय की है। धरती पर वास के समय ये उसी के अनुरूप जीवन जीकर मनुष्य के सामने उदाहरण प्रस्तुत करते हैं और उसी अनुरूप फल देते हैं। जब त्रेता युग में भगवान श्रीराम की मदद और सेवा के लिए भगवान शिव ने अवतार लिया तब उनकी भूमिका श्रीराम भक्ति की थी और राम काज में उनका हाथ बंटाना था।
ऐसे में जब माता सीता ने उन्हें बताया कि वे प्रभु श्रीराम की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना को लेकर मांग में सिंदूर लगा रहीं हैं तो उन्होंने सोचा कि माता सीता के इतना ही सिंदूर लगाने से श्रीराम को इतना लाभ है तो मैं पूरे शरीर में सिंदूर लगा लूं तो भगवान को और भी लाभ होगा। इस तरह स्वामी की भक्ति के वश होकर पूरे शरीर में ही सिंदूर लगाने का फैसला कर लिया। इसी कारण एक ही देवता को अलग-अलग अवतार में अलग चीज प्रिय और अप्रिय हैं। तभी से उन्हें सिंदूर चढ़ाने की प्रथा शुरू हो गई है।
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भगवान शिव को नहीं चढ़ाते नारियल जलः भगवान शिव का नारियल से अभिषेक न करने की भी एक वजह बताई जाती है। दरअसल, नारियल को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है। ऐसे में इससे शिव का अभिषेक नहीं किया जाता।
भगवान शिव को नहीं चढ़ाते नारियल जलः भगवान शिव का नारियल से अभिषेक न करने की भी एक वजह बताई जाती है। दरअसल, नारियल को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है। ऐसे में इससे शिव का अभिषेक नहीं किया जाता।