ऐसे में इस साल यानि 2021 में श्रावण मास की शुरुआत रविवार 25 जुलाई से हो रही है, जिसे भगवान शिव का प्रिय माह माना गया है लेकिन, बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस मास का श्रीकृष्ण से भी काफी खास संबंध है। जिसके चलते श्रीकृष्ण की पूजा व उत्सव भी इस दौरान होते हैं। तो आइये जानते हैं इस माह की श्रीकृष्ण से जुड़ी कुछ खास बातें…
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1. द्वारिकाधीश की पूजा :
माना जाता है कि इस श्रावण मास में द्वारकाधीश की उपासना से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं इससे उपासक को आरोग्य का वरदान मिलने के साथ ही समस्त मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।
2. कृष्ण मंदिरों में उत्सव :
श्रावण मास में जिस तरह शिव के शिवालयों को अच्छे से सजाकर भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है, ठीक उसी तरह इस अवधि में दुनियाभर के कृष्ण मंदिरों में भी भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और आराधाना धूमधाम से की जाती है। इसका कारण यह है कि यह पूरा माह कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा माना जाता है।
3. एक माह तक श्रीकृष्ण पूजा :
श्रावण कृष्ण पक्ष की अष्टमी से भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक (एक महीने तक) श्रीकृष्ण आराधना की जाती है।
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मान्यता के अनुसार जो भी इस अवधि में कृष्ण आराधना करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है। कहते हैं कि इस मास में भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न रहते हैं और मनचाहे वर भी देते हैं।
4. श्रावण माह : ब्रज मंडल में उत्सव
श्रावण माह में श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, गोकुल, बरसाना और वृंदावन में सावन उत्सव मनाया जाता है। ब्रज मंडल के इस सावन उत्सव को कृष्ण जन्माअष्टमी तक अनेक तरीकों से मनाया जाता है। इन उत्सवों में हिंडोले में झूला, घटाएं, रासलीला और गौरांगलीला का आयोजन होता हैं।
: इसके तहत श्रावण मास के कृष्णपक्ष से मंदिर में दो चांदी के और एक सोने का हिंडोला डाला जाता है। इन हिंडोलों में भगवान कृष्ण को झुलाया जाता है। इस माह में अधिकतर जगह पर श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। इसमें हिंडोला सजाने और बालमुकुंद को झूला झूलाने की परंपरा है।
: इसके अतिरिक्त इस समय ब्रज मंडल में खासकर वृंदावन में हरियाली तीज की धूम होती है। इस दौरान यहां के प्राचीन राधावल्लभ मंदिर में हरियाली तीज से रक्षाबंधन तक चांदी, केले, फूल व पत्ती आदि के हिंडोले डाले जाते हैं और पवित्रा एकादशी पर ठाकुरजी पवित्रा धारण करते हैं।
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हरियाली तीज से पंचमी तक ठाकुरजी स्वर्ण हिंडोले में और उसके बाद पूर्णिमा तक चांदी, जड़ाऊ, फूलपत्ती आदि के हिंडोले में झूलते हैं।
: ब्रज मंडल के अन्य मंदिरों में जहां हिंडोले में कृष्ण झूलते हैं। वहीं ब्रज में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां पूरे श्रावण मास में हिंडोले में कृष्ण के साथ बलराम भी झूलते हैं। वहीं दाऊजी मंदिर बल्देव एवं गिरिराज मुखारबिन्द मंदिर जतीपुरा में हिंडोले में ठाकुरजी की प्रतिमा के प्रतिबिम्ब को झुलाया जाता है।
: बसंत के बाद श्रीकृष्ण श्रावण के माह में ही रास रचाते हैं। ब्रजमंडल में श्रावण मास में मनायी जाने वाली रासलीला अत्यंत आकर्षक होती है। वहीं वृन्दावन का प्रमुख आकर्षण विश्वप्रसिद्ध रासाचार्यो द्वारा रासलीला की प्रस्तुत भी होती है। जिनमें कृष्ण लीलाओं का वर्णन होता है।
: ब्रजमंडल में सावन उत्सव के अलावा सावन मास में घटा महोत्सवर् भी होता है, जिसमें कई आकर्षक घटाओं में कान्हा की लीलाओं को प्रस्तुत किया जाता है। इस दौरान इन्हें देखने लाखों की संख्या में लोग इन मंदिरों में आते हैं।